मध्य प्रदेश: गृह मंत्रालय ने आरटीआई कानून के तहत पूछे गए सवालों का जवाब देने से किया इनकार

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इंदौर, मध्यप्रदेश। देश में कोविड-19 का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब देने से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रावधानों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बृहस्पतिवार को बताया, …

इंदौर, मध्यप्रदेश। देश में कोविड-19 का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए सवालों के जवाब देने से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रावधानों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बृहस्पतिवार को बताया, महामारी का प्रसार रोकने में रात के कर्फ्यू की उपयोगिता को लेकर मेरी आरटीआई अर्जी के जवाब में गृह मंत्रालय का मत है कि इसमें पूछे गए सवाल स्पष्टीकरण मांगे जाने की श्रेणी में आते हैं और आरटीआई कानून के प्रावधानों के तहत आवेदक को किसी विषय पर सरकार की ओर से स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सकता।

गौड़ ने आरटीआई कानून के तहत गृह मंत्रालय से पूछा था कि रात का कर्फ्यू कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में किस तरह मददगार साबित होता है और इस सिलसिले में सरकार के पास क्या कोई वैज्ञानिक आधार है? आरटीआई कार्यकर्ता ने गृह मंत्रालय से यह भी जानना चाहा था कि महामारी से निपटने के लिए रात का कर्फ्यू लगाने का विचार आखिर किसका था और यह विचार कहां से लिया गया था? इन सवालों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गौड़ की अर्जी का निपटारा करते हुए जवाब दिया, चाही गई सूचना स्पष्टीकरण या व्याख्या के अनुरोध की प्रकृति की है।

सनद रहे कि किसी विषय पर स्पष्टीकरण दिए जाने या व्याख्या किए जाने या तर्क-वितर्क किए जाने को आरटीआई कानून की धारा दो (एफ) के तहत सूचना की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि कोविड-19 की तीसरी लहर के जोर पकड़ने के बीच महामारी की रोकथाम के उपाय के तहत मध्यप्रदेश और कई अन्य राज्यों की सरकारों ने रात का कर्फ्यू बहाल कर दिया है।

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