अयोध्या सीट: …जब एक किन्नर ने तोड़ा कमल का गुरूर तो दौड़ी थी साइकिल!
अयोध्या। बाबरी विध्वंश के बाद से अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी को हराने वाला कोई नहीं था, लेकिन 2012 में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। वह भी एक किन्नर की वजह से। अयोध्या विधानसभा सीट से पांच बार लगातार विजय प्राप्त कर चुके भाजपा के कद्दावर नेता लल्लू सिंह का विजय रथ …
अयोध्या। बाबरी विध्वंश के बाद से अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी को हराने वाला कोई नहीं था, लेकिन 2012 में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था। वह भी एक किन्नर की वजह से। अयोध्या विधानसभा सीट से पांच बार लगातार विजय प्राप्त कर चुके भाजपा के कद्दावर नेता लल्लू सिंह का विजय रथ रोकने में समाजसेवी किन्नर गुलशन बिंदु ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक गुलशन बिंदु ने न सिर्फ लल्लू सिंह को हराया बल्कि सियासत के केंद्र अयोध्या में किन्नर समाज व यहां की जनता के दिलों की मुख्य बिंदु बन गई। रोचक बात यह है कि इसी चुनाव में अयोध्या में समाजवादी पार्टी का खाता खुला और विधायक के तौर पर तेज नारायण पांडे पवन चुने गए।
मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी में ब्राह्मण परिवार में जन्मी गुलशन बिंदु 30 साल तक दिल्ली में रही। उसके बाद गुलशन बिंदु के गुरु ने उसे अयोध्या भेजा था। इसके बाद गुलशन ने सोचा कितने दिनों तक मैं घुंघरू बांधकर नाच गाना करके कैसे लोगों की सेवा करूंगी। इसके बाद उन्होंने राजनीति में आकर लोगों की सेवा करने का निश्चय किया। पहली बार नगर पालिका का चुनाव 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा, जिसमें 350 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी विजय गुप्ता से हार गई थी। इसके बाद उन्होंने अपना जनाधार मजबूत करने के लिए लोगों से मिलना शुरू किया।
इस बीच उन्हें लोग पसंद करने लगे थे। क्योंकि अपने निजी खर्च से उन्होंने चौक में निशुल्क जल प्याऊ लगवाया। गरीबों की बेटियों की शादी में पैसे दिए और ऐसे बहुत से काम है, जिसे प्रशासन से करवाया। उसके बाद 2012 में गुलशन बिंदु की छवि काफी अच्छी हो गई थी। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अयोध्या विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा।
इस दौरान भारतीय जनता पार्टी से पांच बार के विधायक रहे लल्लू सिंह व समाजवादी पार्टी से तेज नारायन पांडे पवन उनके सामने खड़े थे। चुनाव में लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया और बीजेपी का कुछ वोट अपने खाते में किया, जिससे लल्लू सिंह महज 5405 वोट से सपा के पवन पांडे से हार गए थे। इस चुनाव में गुलशन बिंदु 22023 वोट प्राप्त किए थे। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बीजेपी के अधिकतर समर्थक गुलशन बिंदु के पाले में चले गए थे।
22 हजार वोट मिला तो हर पार्टी अपने पास बुलाने लगी
पहली बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ना और इतने अधिक वोट पाने के बाद गुलशन बिंदु के लिए बड़ी-बड़ी पार्टियों ने अपने दरवाजे खोल दिए। हर पार्टी गुलशन बिंदु को अपनी पार्टी में शामिल कराना चाहता था। इसके बाद गुलशन बिंदु ने समाजवादी पार्टी का झंडा थाम लिया और 2017 में नगर निगम चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार ऋषिकेश उपाध्याय के सामने मुश्किलें पैदा करती दिख रही थीं, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। ऋषिकेश को 44628 वोट व गुलशन बिंदु को 41035 वोट मिले थे। भाजपा महज 3593 वोटों से जीतकर अपनी साख बचा सकी थी।
2019 में बीजेपी में शामिल
नगर निगम चुनाव हारने के बाद व 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले गुलशन बिंदु भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं। स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली। गत दो महीने पहले समाजसेवी गुलशन बिंदु का निधन हो गया। राजनेताओं ही नहीं शहर के लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी।
यह भी पढ़ें:-अमेठी: मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के प्रदेश सचिव बने खुर्शीद, इन्होंने दी बधाई…
