बहराइच: गणेश चतुर्थी व्रत पर बाजारों में खरीदारी के लिए लगी भीड़

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बहराइच। आज गणेश चतुर्थी व्रत है। पुत्रों के दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने व्रत रखा है। देर शाम को चौक पूजन के साथ महिलाएं व्रत़ तोड़ेंगी। बाजार में खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी है। जिले में श्रीगणेश चतुर्थी व्रत की तैयारियां पूर्व से शुरू हो गई। आज महिलाएं व्रत रखकर पुत्रों के दीर्घायु …

बहराइच। आज गणेश चतुर्थी व्रत है। पुत्रों के दीर्घायु की कामना के लिए महिलाओं ने व्रत रखा है। देर शाम को चौक पूजन के साथ महिलाएं व्रत़ तोड़ेंगी। बाजार में खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी है।

जिले में श्रीगणेश चतुर्थी व्रत की तैयारियां पूर्व से शुरू हो गई। आज महिलाएं व्रत रखकर पुत्रों के दीर्घायु की कामना करेंगी। पर्व में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों की खरीदारी के साथ विघ्न विनाशक श्रीगणेश के पूजन की तैयारियां की जा रही है।

बहराइच शहर के अलावा नानपारा, पयागपुर, कैसरगंज, फखरपुर, जरवल, रिसिया, मिहिपुरवा, गजाधरपुर में  गुड़,तिल,गंजी लय्या की बिक्री से बाजार गुलजार हो रहे है। यहां लोगों ने मंहगाई की फिक्र छोड़कर खूब खरीदारी कर रहें हैं। आज पर्व मनाने में महिलाओं के साथ सभी में उत्साह दिख रहा है। मालूम हो कि माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, माघी चतुर्थी या तिल चौथ के नाम से जाना जाता है।

साल भर में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन माताएं संतान के दीर्घायु की प्रार्थना करती है और चंद्र दर्शन कर दूसरे दिन पंचमी में पारण करती है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विध्नहर्ता की पूजा- अर्चना और व्रत करने से समस्त संकट दूर होते है। अपनी संतान की दीर्घ आयु के लिए माताए व्रत रखती है और अपने पुत्र के उज्वल भविष्य की कामना करती है यह व्रत सम्पूर्ण सुखों को देने वाला होता है ।

इसलिए होती है पूजा

पंडित जमुना प्रसाद ने बताया कि चतुर्थी के दिन गणेश भगवान का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में व्रत मनाया जाता है। एक समय रात्रि को चंद्र उदय होने के पश्चात फलाहार करना उत्तम रहता है। रात में चन्द्र को अ‌र्ध्य देकर गणेश चतुर्थी का उपवास जो लोग पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करता है, उसे रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होने के साथ-साथ जीवन में आने वाली विध्न बाधाओं का भी नाश होता है।

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