अड़सठ साल की उम्र में 6133 मीटर ऊंची चोटी फतेह करने वाली चंद्रप्रभा एतवाल
हौंसलों में जान हो तो सब मुमकिन है, केवल सोचने से नहीं करने से ही होता है और यह साबित कर दिखाया अड़सठ साल की चंद्रपभा एतवाल ने। जिन्होंने इस उम्र में हिमालय की चढ़ाई फतह करके साबित कर दिया कि जहां चाह होती है वहां राह होती है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला गांव में …
हौंसलों में जान हो तो सब मुमकिन है, केवल सोचने से नहीं करने से ही होता है और यह साबित कर दिखाया अड़सठ साल की चंद्रपभा एतवाल ने। जिन्होंने इस उम्र में हिमालय की चढ़ाई फतह करके साबित कर दिया कि जहां चाह होती है वहां राह होती है।

पिथौरागढ़ जिले के धारचूला गांव में जन्मी चंद्रप्रभा एतवाल का जन्म 24 दिसम्बर 1941 को हुआ था। एक किसान परिवार में जन्मी चंद्रप्रभा को ‘माउन्टेन गोट’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 6133 मीटर ऊंची चोटी श्रीकंठ पर भारतीय तिरंगा लहराया था। चंद्रप्रभा ने अपनी स्कूली शिक्षा छान्गरू में ही पूरी की थी। जिसके बाद हाई स्कूल की परीक्षा पांगू से तथा इंटरमीडिएट रा. ई. कॉलेज नैनीताल से पास की। वह शुरुआत से ही खेल-कूद की ओर आकर्षित थीं। उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया था। 1963 में नैनीताल से अपने ग्रेजुएशन को पास करने के बाद उन्होने रा.ई. कॉलेज पिथोरागढ़ में शिक्षण देना शुरु कर दिया।
जिसके बाद चंद्रप्रभा ने पर्वतारोहण की ओर कदम बढ़ाया। सन 1975 में प्रथम श्रेणी में पास करके वे निरंतर पर्वतारोहण की ओर बढती रहीं। उनके साहसिक कार्यों को देख उत्तरप्रदेश सरकार ने विशेष अधिकारी के रूप में उन्हें नियुक्त किया। चन्द्रप्रभा एतवाल ने 28 बार हिमालय की दुर्लभ चोटियों पर चढ़ाई की है।

चंद्रप्रभा ने अपने बुलंद हौसलों के साथ हिमालय की 6133 मीटर ऊंची चोटी श्रीकंठ पर भारतीय तिरंगा लहरा कर, सभी के लिए एक मिसाल पेश की। चंद्रप्रभा के लिए ऐसा करना आसान नहीं था। इसे पूरा करने में उन्हें 40 के अनुभव की जरुरत पड़ी। उन्होंने 68 साल की उम्र में 6133 मीटर ऊंची चोटी श्रीकंठ पर भारतीय तिरंगा लहराने का गौरव प्राप्त किया है।
चन्द्रप्रभा एतवाल को 1989-90 में पदमश्री सम्मान के साथ अर्जुन पुरस्कार, राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों से नव़ाजा गया है। पर्वतारोहण के साथ ही रिवर राफ्टिंग में भी उनका विशिष्ट योगदान रहा है।
