बरेली: मां… मुझे झाड़ियों में क्यों फेंका? ये मेरे लड़की होने की सजा थी या फिर कोई मजबूरी? मैंने तो अभी दुनिया को महसूस भी नहीं किया…

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बरेली, अमृत विचार। मां… मुझे झाड़ियों में क्यों फेंका? ये मेरे लड़की होने की सजा थी या फिर कोई मजबूरी? मैंने तो अभी दुनिया को महसूस भी नहीं किया…। अगर वो बोल सकती तो उसका मां से यही सवाल होता। मगर वो अभी महज बमुश्किल दो दिन की ही है। किस्मत अच्छी थी जो किसी …

बरेली, अमृत विचार। मां… मुझे झाड़ियों में क्यों फेंका? ये मेरे लड़की होने की सजा थी या फिर कोई मजबूरी? मैंने तो अभी दुनिया को महसूस भी नहीं किया…। अगर वो बोल सकती तो उसका मां से यही सवाल होता। मगर वो अभी महज बमुश्किल दो दिन की ही है। किस्मत अच्छी थी जो किसी जंगली जानवर या फिर जहरीले कीड़े का शिकार होने से बच गई।

दरअसल, सैटेलाइट चौराहे से चंद कदम दूरी पर शाहजहांपुर रोड पर झाड़ियों में कोई महज दो दिनों की नवजात को फेंक कर चला गया। फेंकने वाले ने इतना भी नहीं सोचा कि नवजात जिंदा रहेगी या फिर मर जाएगी। गुरुवार शाम को राह चलते लोगों को जब बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी तो उन्होंने झाड़ियों में जाकर देखा। बच्ची एक कपड़े में लिपटे हुए जोर-जोर से रो रही थी। वह भूख से भी तड़प रही थी। उस वक्त उसे मां की बेहद सख्त जरूरत थी। यह देख लोगों का दिल पसीजा और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित कर दिया।

गोद में उठाते ही शांत हो गई बच्ची
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची डायल 100 की महिला पुलिसकर्मी ने जब उसे उठाया तो शांत हो गई। उसे अपनी मां की गोद महसूस हुई। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है। चाइल्ड लाइन की टीम को भी सूचित कर बच्ची की निगरानी के लिए कहा गया है। चाइल्ड लाइन की टीम लगातार उस बच्ची की जिला अस्पताल में निगरानी कर रही है।

नसीब अच्छा था कि कोई जंगली जानवर नहीं पहुंचा
जिस जगह पर बच्ची को फेंका गया था वहां पर काफी घनी झाड़ियां है। कई जहरीले सांप-बिच्छु भी है। मगर बच्ची का नसीब अच्छा था कि वह बच गई। बहराल अब वह पूरी तरह से सुरक्षित है। उधर, दूसरी ओर जैसे ही बच्ची को पुलिस ने उठाया तो वहां पर उस बच्ची को अडॉप्ट करने वाले भी पहुंच गए। मगर पुलिस का कहना था कि इस तरह से बच्ची को अडॉप्ट नहीं किया जा सकता। पूरे प्रोसिस के बाद ही उसे अडॉप्ट कर सकते है।

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