यूपी चुनाव 2022: सोनभद्र की घोरावल में आमने-सामने ननद और भौजाई
सोनभद्र। पुरानी रियासतें खत्म होने के बाद कई राजघरानों के प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में शामिल होते हुए चुनाव के रास्ते सदन तक का सफर तय किया। इस बार सोनभद्र की घोरावल सीट पर अगोरी-बड़हर राजघराने की बहू विदेश्वरी सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। हालांकि पहले चर्चा यह थी कि …
सोनभद्र। पुरानी रियासतें खत्म होने के बाद कई राजघरानों के प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में शामिल होते हुए चुनाव के रास्ते सदन तक का सफर तय किया। इस बार सोनभद्र की घोरावल सीट पर अगोरी-बड़हर राजघराने की बहू विदेश्वरी सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। हालांकि पहले चर्चा यह थी कि टिकट राजघराने की बेटी दीक्षा को मिल सकता है। ऐसे में महत्वाकांक्षा और विचारधाराओं की लड़ाई घर तक पहुंच गई। दीक्षा ने हाल ही में लखनऊ जाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। हालांकि वह अपनी भाभी के खिलाफ भाजपा के पक्ष में खुलकर प्रचार नहीं कर रही हैं
बड़हर राजघराने के कुंवर अभ्युदय बह्मशाह के निधन के बाद से उनकी पत्नी विदेश्वरी सिंह राजस्थान स्थित अपने मायके में रहती थीं। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विदेश्वरी को घोरावल से प्रत्याशी बना दिया। चर्चा है कि स्व. कुंवर अभ्युदय ब्रह्म की बहन राजकुमारी दीक्षा इसी सीट से अपनी दावेदारी कर रही थीं। टिकट नहीं मिला तो उन्होंने देरी न करते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। विचारों का युद्ध राजघराने के भीतर चल रहा है, लेकिन दोनों ननद-भौजाई इस पर टिप्पणी करने से यह कहकर इन्कार कर रही हैं कि यह घर का मामला है।
वैसे घोरावल विधानसभा सीट से 2017 में भाजपा के अनिल कुमार मौर्य ने सपा के रमेश चंद्र दुबे को 57649 वोटों के अंतर से हराया था। घोरावल विधानसभा सीट राबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र में आती है। अनिल कुमार मौर्य 2007 में मिर्जापुर में रामनगर विधानसभा सीट से बसपा से चुनाव जीते थे । वहीं 2012 का चुनाव हार गए। उन्हें बसपा से पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 2016 में निष्कासित कर दिया गया था।
निष्कासन के बाद अनिल कुमार मौर्या भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और वह 2017 में सोनभद्र जिले की घोरावल विधानसभा सीट चुनाव लड़े और समाजवादी पार्टी के अपने करीबी उम्मीदवार रमेश चंद्र को हराकर विधायक बने। 2012 में घोरवाल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के रमेश चंद्र ने जीत हासिल किया था। उन्होंने बीएसपी के अनिल कुमार मौर्या को हराया था। सामाजिक समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो ये सीट एससी-एसटी बाहुल्य सीट है. यहां एससी और एसटी वर्ग के मतदाताओं की तादाद अधिक है। मौर्या बिरादरी के वोटर भी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
अनुमानों के मुताबिक घोरावल विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय के साथ ही मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।घोरावल सीट से विधायक अनिल मौर्या अपने कार्यकाल में विकास की गंगा बहाने का दावा करते हैं। भाजपा के लोग भी अनिल मौर्या के कार्यकाल में सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर किए गए कार्य गिना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल और विपक्षी दलों के नेता विधायक और बीजेपी की ओर से किए जा रहे दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं।
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