लखीमपुर-खीरी: पुलिस कर रही आराम, अपराधी कर रहे अपना काम

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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। दोबारा प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने और भयमुक्त समाज को लेकर भले ही सख्त रूख अपना रहे हों, लेकिन जिले में अपराध पर अंकुश का खेल सिर्फ कागजी आंकड़ों में ही चल रहा है। धरातल पर यदि देखा जाए तो तमाम सख्ती के …

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। दोबारा प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने और भयमुक्त समाज को लेकर भले ही सख्त रूख अपना रहे हों, लेकिन जिले में अपराध पर अंकुश का खेल सिर्फ कागजी आंकड़ों में ही चल रहा है। धरातल पर यदि देखा जाए तो तमाम सख्ती के बाद भी अपराधी बेखौफ हैं।

हाल यह है कि रात की बजाय अब दिनदहाड़े चेन, कुंडल, पर्स व मोबाइल छिनैती की घटनाएं हो रही हैं। अफसर भी मातहतों पर शिकंजा कसने के बजाय आंकड़ो के खेल में भी बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और जिले में क्राइम कंट्रोल का दावा करते हैं। शहर में छिनैती और ऑटो लिफ्टर गैंग सक्रिय हो गया है।

सदर कोतवाली पुलिस से बेखौफ गैंग के सदस्य दिनदहाड़े घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। घटना होने के बाद पुलिस बदमाशों को पकड़ने में रुचि लेने की बजाय पहले घटना पर पर्दा डालने की कोशिश करती है। वह अधिकारियों को भी गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती। घटना की रिपोर्ट दर्ज करा पाना पीड़ित के लिए काफी टेढ़ी खीर साबित होता है।

पुलिस जांच के नाम पर पीड़ितों को कई दिनों तक चौकी और कोतवाली के चक्कर कटवाती है। इससे या तो पीड़ित ही थक हारकर घर पर बैठ जाता है या फिर वह अधिकारियों के चक्कर काटने लगता है। घटना दर्ज न होने के कारण पुलिस पर खुलासे का भी दबाव नहीं रहता।

यही वजह है कि एक-दो दिन तक हाथ पैर चलाने के बाद पुलिस भी बदमाशों की तरफ से मुंह मोड़ लेती है, या फिर किसी पकड़े गए आरोपी के घटना में शामिल होने का दावा कर उसी पर घटना का खुलासा कर अपना पल्ला झाड़ लेती है। इतना ही नहीं लगातार हो रहीं घटनाओं के बाद भी पुलिस कोतवाली और चौकियों पर ही आराम फरमाती नजर आती है।

शहर में पुलिस की गश्त न होने से और कार्रवाई शून्य होने के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं। पुलिस दिन में भी सड़कों पर गश्त के नाम पर सिर्फ पुलिस खानापूरी करती है। शहर में दो महीने के भीतर छह से अधिक चेन स्नेचिंग की घटनाएं हुईं हैं। इनमें से एक भी घटना का खुलासा पुलिस नहीं कर सकी है। तहरीर न मिलने की बात कहकर रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की।

मोबाइल और पर्स छिनैती की घटनाएं तो आम हो चुकी हैं। पुलिस थाने आने वाले पीड़ित से छिनैती की जगह गिरने की तहरीर लेकर कागजी कार्रवाई पूरी कर लेती है। बाइक चोरी की बात करें तो जनवरी से लेकर अब तक 179 बाइकें चोरी हो चुकी हैं। इनमें से पुलिस ने करीब 153 बाइकों के चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज की है। बाइक चोरी का आंकड़ा न बढ़े। इसके लिए पुलिस महीनों बाइक स्वामियों को टरकाती रहती है।

आटोलिप्टर गैंग ने उड़ाईं दो बाइक

शहर में सक्रिय बाइक चोर गैंग के सदस्यों ने शनिवार को शहर में अलग-अलग दो स्थानों से दो बाइक चोरी कर ले गए। पहली घटना पटेलनगर स्थित सुशील वर्मा गर्ल्स मेमोरियल डिग्री कॉलेज गेट के पास हुई। शहर के राजापुर निवासी प्रमोद कुमार वर्मा अपनी पुत्रवधू को छोड़ने डिग्री कॉलेज गए थे।

उन्होंने बताया कि दोपहर करीब 12 बजे वह गेट पर बाइक खड़ी कर कॉलेज में चले गए। 15 मिनट बाद जब वापस निकले तो उनकी बाइक गायब मिली। दूसरी घटना राजाजीपुरम में हुई। घर के बाहर खड़ी एक बाइक बाइक चोर चुरा ले गए। शुक्रवार को डॉन बास्को नहर पुलिया के पास एक डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर से बाइक चोरी हो गई थी। तीनों घटनाओं की तहरीर पुलिस को दी गई, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की है।

48 घंटे बाद भी हाथ नहीं आए चेन स्नेचर

शुक्रवार को बहादुरनगर निवासी मुस्कान अपनी मां के साथ मोहल्ला काशीनगर में एक डॉक्टर के पास दवा लेने आई थी। वापस जाते समय दोपहर करीब 12:48 बजे अपाचे बाइक पर सवार दो बदमाश गले पर झपट्टा मारकर मुस्कान की सोने की चेन तोड़ ले गए थे। बिना नंबर प्लेट लगी बाइक चला रहे बदमाश ने हेलमेट पहन रखा था, जबकि गले पर झपट्टा मारने वाला पीछे बैठे बदमाश ने चेहरे पर गमछा लिपटा हुआ था। दोनों बदमाशों की फुटेज सीसीटीवी में कैद हुई है।

दोनों बदमाशों के चेहरे पूरी तरह से चेहरे ढके होने से उनकी शिनाख्त कर पाना पुलिस के लिए काफी टेढ़ी खीर है। सदर कोतवाली पुलिस ने पीड़िता की मां की तहरीर पर बाइक सवार दो अज्ञात बदमाशों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है, लेकिन घटना के 48 घंटे के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है। पुलिस अंधेरे में ही हाथ पैर चला रही है।

बिना नंबर प्लेट की स्टाइलिश बाइकों पर पुलिस नहीं देती ध्यान

शहर में चेन, कुंडल छिनैती आदि की बढ़ रहीं घटनाअ ों के पीछे पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इन घटनाअ ों को बदमाशों ने अपाचे, पल्सर जैसी स्टाइलिश बाइकों से ही अंजाम दिया है। ऐसी कोई अभी तक की घटना नहीं है, जिसमें स्टाइलिश की जगह कोई अन्य बाइक प्रयोग की गई हो। इसके बाद भी पुलिस स्टाइलिश और बिना नंबर की बाइकों पर गौर नहीं करती है। न ही उन्हें रोककर पूछताछ करती है। एसपी के आदेश पर जब भी बाइक चेकिंग का अभियान चलता है। तब भी स्टाइलिश बाइकें पुलिस की नजर में नहीं आती है। यदि पुलिस इन बाइकों की जांच पड़ताल करे और रोककर टोकाटोकी करे तो घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

थाने आने वाले हर पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज करने के पहले से ही निर्देश दिए जा चुके हैं। घटना होने पर पुलिस उसका खुलासा कर चोरी गए माल की रिकवरी कर रही है। जो घटनाएं अभी नहीं खुली हैं उन पर टीमें काम कर रही हैं। बाइकें भी बरामद हो रही हैं। इधर पुलिस ने कई गैंग के सदस्य पकड़कर जेल भेजे हैं।—संजीव सुमन, पुलिस अधीक्षक

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