नैनीताल: रेड और येलो कीवी से बनेगी सेहत, बढ़ेगी किसानों की आय

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नैनीताल,अमृत विचार। उत्तराखंड के किसान अब रेड और येलो कीवी की बागवानी भी कर सकेंगे। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी मांग अधिक होने से किसानों को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है। इसके लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के क्षेत्रीय केंद्र निगलाट (सिरोड़ी) में कीवी के पौधे तैयार किये गए हैं। इनमें रेड और यलो …

नैनीताल,अमृत विचार। उत्तराखंड के किसान अब रेड और येलो कीवी की बागवानी भी कर सकेंगे। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी मांग अधिक होने से किसानों को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है। इसके लिए राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के क्षेत्रीय केंद्र निगलाट (सिरोड़ी) में कीवी के पौधे तैयार किये गए हैं। इनमें रेड और यलो कीवी के पौधे बड़े पैमाने पर तैयार किये गए हैं।

बता दें कि वर्तमान में राज्य में ग्रीन कीवी की बागवानी ही की जा रही है।
केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण माधव राय का कहना है कि रेड और यलो कीवी के उत्पादन से किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

बताया कि केंद्र ने किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से कीवी उत्पादन को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। कीवी डारमेंट प्लांट्स होते हैं जिनका पतझड़ जनवरी में होता है। इसलिए अगले साल जनवरी में इन पौधों को बगीचों में बड़े स्तर पर लगाया जाएगा जिससे इनमें फल आ सकें। इसके बाद किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें इनका वितरण किया जाएगा, जिससे वे भी इसका लाभ उठा सकें। बता दें कि समुद्र तल से एक हजार से दो हजार मीटर की ऊंचाई पर नवंबर से जनवरी तक कीवी का पौधा फल देता है। एक पेड़ में डेढ़ क्विंटल तक फल का उत्पादन होता है।

26 प्रजाति के कीवी का किया जा रहा उत्पादन
राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो क्षेत्रीय केंद्र निगलाट में वर्ष 1991-92 से कीवी उत्पादन पर शोध कार्य हो रहे हैं। यहां अभी 26 प्रजाति के कीवी के पौधे तैयार किए गए हैं। इनमें कीवी की छह प्रजातियां वर्ष 1993 में और 20 अन्य प्रजातियां वर्ष 2019 में यूएसए से आयात की गई थीं।

कीवी के ये हैं फायदे
वैज्ञानिक डॉ. कृष्णमाधो राय ने बताया कि यलो कीवी में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रेड कीवी का स्वाद बेहतर होता है और यह देखने में काफी आकर्षक लगता है। कीवी में काफी एंटी ऑक्सीडेंट होने के कारण यह फ्री रेडिकल्स के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। जिस कारण कोई भी बीमारी जल्दी नहीं हो पाती। वहीं डेंगू के रोगियों के लिए ये फायदेमंद होता है।

उत्तराखंड में विदेशी आड़ू का मजा
केंद्र में 10 विदेशी प्रजातियों के आड़ू के बगीचे भी तैयार किए गए हैं जिनमें फल लगना भी शुरू हो गया है। इसे अमेरिका और यूरोप से वर्ष 2017 में आयात कर वर्ष 2019 में निगलाट क्षेत्र में लगाया गया था। खास बात ये है कि यह नई प्रजाति के आड़ू पहाड़ में मिलने वाले आड़ूओं से अलग होते हैं और इनके पौधे एक साल बाद ही फल देने लगते हैं। फलों का आकर और रंग भी अलग होता है।

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