मुरादाबाद : ‘सुन पथिक तू रुक ना जाना, मुश्किलों में झुक ना जाना…’, कवियों ने रचनाओं से लूटी वाहवाही

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मुरादाबाद, अमृत विचार। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच कला भारती साहित्य समागम ने ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी आयोजित की। मां शारदे की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसमें राजीव प्रखर ने जाते-जाते कह गया… सुनाया। योगेंद्र वर्मा व्योम ने यह विकास का श्राप है, या फिर यह वरदान। मोबाइल ने छीन ली, चिट्ठी की पहचान प्रस्तुत किया। …

मुरादाबाद, अमृत विचार। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच कला भारती साहित्य समागम ने ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी आयोजित की। मां शारदे की वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसमें राजीव प्रखर ने जाते-जाते कह गया… सुनाया। योगेंद्र वर्मा व्योम ने यह विकास का श्राप है, या फिर यह वरदान। मोबाइल ने छीन ली, चिट्ठी की पहचान प्रस्तुत किया।

शुभम कश्यप कि दिलों पर बार होती जा रही है… सराही गई। प्रशांत मिश्र ने भगत सिंह की गर्जना, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने हिंदू न मुसलमान की, हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की.., नृपेंद्र शर्मा ने सुन पथिक तू रुक ना जाना, मुश्किलों में झुक ना जाना… पढ़ा। दुष्यंत बाबा वर्दी में एक प्रहरी, था ड्यूटी पर मुस्तैद सुनाया। मयंक शर्मा ने एक सुखद एहसास हो तुम। हर संबंध में खास हो तुम। इंदु रानी ने मिल गए सरहदों के सर शायद पर वाहवाही लूटी।

डॉ. अर्चना गुप्ता ने मां की महिमा को शब्द दिए। डॉ. रीता सिंह ने कहा- उठो लाल अब हुआ सवेरा, चिड़ियों ने डाला है डेरा। अशोक विद्रोही के भाव थे – देखो देखो भारत वीरों बौनी सेना आती है। हेमा तिवारी भट्ट ने कवि और कलम के संयोग को अभिव्यक्त दी। त्यागी अशोक कृष्णम ने अपने दोहों का जादू बिखेरा। शशि त्यागी की बस इतना तू जान ले प्राणी.. सराही गई। मनोज मनु कवयित्री सरिता लाल, डॉ. मनोज रस्तोगी के प्रयास सराहे गए।

विशिष्ट अतिथि डॉ. पूनम बंसल की, दिनकर लगते क्रोध में, बैरी लगती धूप.. पर जाली बजी। डॉ. प्रेमवती उपाध्याय, अशोक विश्नोई ने अपने भाव प्रस्तुत किए। अध्यक्ष संजीव आकांक्षी ने इबादतगाह चीख चिल्ला रहे हैं, अंदर का सच खुद बतला रहे हैं… सुनाया। कवि इशांत शर्मा ईशू तथा अमित सिंह ने उत्साहवर्धन किया।ॉकार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में डॉ. प्रेमवती उपाध्याय, डॉ. पूनम बंसल शामिल रहीं।

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