बरेली: महिला अस्पताल में भर्ती होने वाली हर दूसरी गर्भवती में खून की कमी
अंकित चौहान, अमृत विचार, बरेली। गर्भवतियों को सही देखभाल की जरूरत है, अगर ऐसा नहीं किया जाए तो उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है, जो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए घातक है। शरीर में खून की कमी कई बार जच्चा-बच्चा की मौत का सबब बन जाती है। किसी तरह जान बच …
अंकित चौहान, अमृत विचार, बरेली। गर्भवतियों को सही देखभाल की जरूरत है, अगर ऐसा नहीं किया जाए तो उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है, जो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए घातक है। शरीर में खून की कमी कई बार जच्चा-बच्चा की मौत का सबब बन जाती है। किसी तरह जान बच भी जाए तो प्रसव के बाद नवजात पर भी इसका गंभीर असर पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार जिला महिला अस्पताल में भर्ती होने वाली हर दूसरी गर्भवती एनीमिया यानी खून की कमी से ग्रसित मिल रही है। स्टाफ की ओर से ऐसे मरीजों के तीमारदारों को एनीमिया से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
अस्पताल में हर माह करीब 500 से 700 गर्भवती महिलाएं भर्ती होती हैं। प्रसव से पहले मरीज की ब्लड की जांच कराई जाती है। ऐसे में हर दूसरी मरीज में एनीमिया की पुष्टि हो रही है। अगर प्रसव एक दो दिन बाद किया जा सकता है तो प्रसूता को एएनसी वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाता है। अधिकांश मामलों में दो से तीन दिन में प्रसूता का हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार जिनको जांच में एनीमिया की पुष्टि हो रही है। उन्हें आयरन सुक्रोज का इंजेक्शन लगाया जा रहा है। वहीं, सीवियर एनीमिक होने पर ब्लड भी चढ़ाया जा रहा है।
दिसंबर से अब तक सुधरा ग्राफ
डेढ़ वर्ष में महिला अस्पताल में भर्ती हुईं 1000 प्रसूताओं में छह की मौत हुई थी। वहीं, दिसंबर से अब तक यह आंकड़ा शून्य है। जिन प्रसूताओं की मौत हुई थी, उसकी मुख्य वजह खून की कमी होना सामने आई थी।
क्या होता है एनीमिया
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मृदुला शर्मा के अनुसार गर्भधारण के दौरान अगर प्रसूता को ठीक प्रकार से संतुलित आहार और पोषण नहीं मिलता है तो प्रसूता के शरीर में ब्लड ही भारी कमी हो जाती है, हीमोग्लोबिन कम होने पर डॉक्टर तुंरत प्रसूताओं की डिलीवरी नहीं कर पाती हैं, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान काे खतरा रहता है।
डॉ. अलका शर्मा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका, जिला महिला अस्पताल-
महिला अस्पताल में हर माह करीब 500 से 700 मरीज भर्ती हो रही हैं। अधिकांश मरीज उचित देखभाल न होने के कारण एनीमिया से ग्रसित मिल रही हैं। सीवियर होने पर ब्लड चढ़ाया जा रहा है। वहीं एएनसी वार्ड में आयरन सुक्रोज ट्रीटमेंट देकर मरीज के शरीर में खून की कमी पूर्ण की जा रही है।
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