अयोध्या: आस्था का प्रतीक है गहनागदेव मंदिर, सर्प दंश से पीड़ित हजारों लोगों को मिलता है जीवनदान
अयोध्या। मिल्कीपुर तहसील के अमानीगंज विकासखंड के गहनाग गांव में स्थित गहनाग मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष हजारों सर्पदंश पीड़ितों को जीवन दान मिलता है। सदियों से श्रावण मास की नागपंचमी को लगने वाला गहनाग मेला आज भी प्रासंगिक है। आस-पास के आधा दर्जन जिलों के श्रद्धालु बाबा गहनाग …
अयोध्या। मिल्कीपुर तहसील के अमानीगंज विकासखंड के गहनाग गांव में स्थित गहनाग मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष हजारों सर्पदंश पीड़ितों को जीवन दान मिलता है। सदियों से श्रावण मास की नागपंचमी को लगने वाला गहनाग मेला आज भी प्रासंगिक है। आस-पास के आधा दर्जन जिलों के श्रद्धालु बाबा गहनाग के मंदिर पर घर की सुख शांति के लिए मन्नतें मांगने आते हैं। यहां से सरसों और राई ले जाकर घर में छींटने से कभी सांप नहीं निकलता है।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी से शुरू होने वाला गहनाग मेला सोमवार को अपने शबाब पर होता है। यह मंदिर मुगलकालीन लखोरी ईटों से पंवार वंश के क्षत्रिय राजाओं ने बनवाया था, जिनके ये कुलदेवता बताए जाते हैं। नागपंचमी के दिन यहां श्रद्वालुओं को नाग देवता स्वयं दर्शन देते हैं।
अयोध्या, सुल्तानपुर, अमेठी, बाराबंकी, गोंडा, बस्ती व अंबेडकरनगर आदि जनपदों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में नाग देवता का दर्शन करने आते हैं। मंदिर परिसर में स्थित कुएं के जल से मंत्रोच्चारण के साथ सर्पदंश से पीड़ित लोगों को बड़ा लाभ होता है। मंदिर के पुजारी राम बिहारी तिवारी ने बताया कि प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में सर्पदंश से पीड़ित लोग यहां से स्वास्थ्य लाभ लेकर जाते हैं। मेले से श्रद्धालु प्रसाद के रूप में सरसों-राई अपने घर ले जाते हैं।
मेले की सभी तैयारियां कर ली गई हैं पूरी
थानाध्यक्ष खंडासा संतोष कुमार सिंह ने बताया कि मेले में आसपास के थानों की फोर्स के अलावा एनडीआरएफ, बज्र वाहन, पीएससी के जवान तैनात किए जाते हैं। सतनापुर रामनगर चौराहा व अन्य मार्गों पर आने जाने वाले वाहनों को रोक कर भारी वाहनों को रोक दिया जाता है। पुजारी राम बिहारी तिवारी ने बताया कि मेले की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं।
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