12 अगस्त : शाह आलम द्वितीय से दोस्ती कर ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन में रखी दखल की नींव

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नई दिल्ली। व्यापारिक इरादे से भारत आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को गुलाम बना लिया था। यह वही कंपनी है जिसने एक समय में भारत देश पर राज किया। सन 1600 ईसवीं के आस-पास भारत में आई इस कंपनी ने सैकड़ों साल तक हमारे देश पर शासन किया। यहां की आपसी मतभेद, आपसी लड़ाई …

नई दिल्ली। व्यापारिक इरादे से भारत आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश को गुलाम बना लिया था। यह वही कंपनी है जिसने एक समय में भारत देश पर राज किया। सन 1600 ईसवीं के आस-पास भारत में आई इस कंपनी ने सैकड़ों साल तक हमारे देश पर शासन किया। यहां की आपसी मतभेद, आपसी लड़ाई और बिखराव ने उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को हवा दी। जिसके बाद कंपनी ने 12 अगस्त 1765 को मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे इलाहाबाद की संधि कहा जाता है।

इलाहाबाद की प्रथम सन्धि, राबर्ट क्लाइव तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के बीच में 12  अगस्त 1765 में हुई थी। यह संधि बंगाल के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी क्योंकि कालान्तर में इसने उन प्रशासकीय परिवर्तनों की पृष्ठभूमि तैयार कर दी जिससे ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था की आधारशिला रखी गयी। नवाब की सत्ता का अन्त हो गया और एक ऐसी व्यवस्था का जन्म हुआ जो शासन के उत्तरदायित्व से मुक्त थी।

इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि इस संधि के जरिए ईस्ट इंडिया कंपनी को देश की राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था में दखल देने का अवसर मिल गया और यहीं से भारत में ब्रिटिश शासन की नींव पड़ी।

दरअसल शाह आलम ने इस संधि की मार्फत कंपनी को पूर्वी प्रांत बंगाल, बिहार और उड़ीसा में बादशाह की तरफ से कर एकत्र करने के अधिकार सौंप दिए और उसके बाद कंपनी को अपने साम्राज्यवादी पंख फैलाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।

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