बढ़ती ताकत

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण किया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं। आईएनएस विक्रांत केंद्र सरकार के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों …

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ का जलावतरण किया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं। आईएनएस विक्रांत केंद्र सरकार के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों का अप्रतिम उदाहरण है।

भारत के पास अब ऐसा सबसे बड़ा स्वदेशी युद्धपोत है, जो 20 मिग-29 फाइटर जेट ले जाने में सक्षम है। इसकी लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपए है। ये युद्धपोत से ज्यादा एक तैरता हुआ एयरफील्ड है, एक तैरता हुआ शहर है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक परिवेश तेजी से बदल रहा है। आने वाले समय में बहुध्रुवीय विश्व की गतिविधियों और सक्रियता का केंद्र कहां होगा,

ये भविष्यदृष्टि बहुत जरूरी हो जाती है। पिछले समय में इंडो-पैसिफिक रीजन और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरंदाज किया जाता रहा है। लेकिन आज यह क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता हैं। इसलिए हम नौसेना की क्षमता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। कठिन लक्ष्य और बड़ी से बड़ी चुनौतियों में भी भारत जब ठान लेता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है।

जल परिवहन के क्षेत्र में भारत का गौरवमयी इतिहास रहा है। चूंकि शक्ति और शांति एक दूसरे के लिए जरूरी हैं। इसीलिए भारत बल और बदलाव दोनों को एक साथ लेकर चल रहा है। लगातार रक्षा क्षेत्र में सुधार करके, सेनाओं को आधुनिक बना रहा है, आत्मनिर्भर बना रहा है। कहा जाता है आत्मनिर्भरता और आजादी एक दूसरे का पूरक हैं।  जो देश जितना आत्मनिर्भर है, वो उतना ही सशक्त है। रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है।

रक्षा क्षेत्र में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 25 प्रतिशत बजट भी देश की यूनिवर्सिटीज और देश की कंपनियों को ही उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो बड़े डिफेंस कॉरिडॉर्स भी विकसित हो रहे हैं। ऐसे मंे रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी कंपनियां दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में शुमार हों। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए उठाए जा रहे इन कदमों से, देश में रोजगार के अनेक नए अवसर पैदा हो रहे हैं। निसंदेह भारत आज आत्मनिर्भर होने के लिए पूरी शक्ति से काम कर रहा है।