अयोध्या: प्रशिक्षण केंद्र को फार्मासिस्ट ने बना दिया खुद का प्रशासनिक कक्ष

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अयोध्या। श्रीराम चिकित्सालय अयोध्या में तैनात एक चीफ फार्मासिस्ट के के आगे सीएमओ और सीएमएस का रुतबा भी फीका है। यहां सीएमएस की कम इस चीफ फार्मासिस्ट की अधिक चलती है। तभी तो अपने रसूख के बल उसने प्रशिक्षण केंद्र के कक्ष को खुद के प्रशासनिक कक्ष में बदल डाला। जानकारी में होने के बाद …

अयोध्या। श्रीराम चिकित्सालय अयोध्या में तैनात एक चीफ फार्मासिस्ट के के आगे सीएमओ और सीएमएस का रुतबा भी फीका है। यहां सीएमएस की कम इस चीफ फार्मासिस्ट की अधिक चलती है। तभी तो अपने रसूख के बल उसने प्रशिक्षण केंद्र के कक्ष को खुद के प्रशासनिक कक्ष में बदल डाला। जानकारी में होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

खुद को प्रशासनिक अधिकारी के रूप में साबित करने के लिए यहां तैनात चीफ फार्मासिस्ट ने बाकायदा अपने नाम की पट्टिका भी लगवा रखी है। सावधानी यह बरती कि नाम पट्टिका के नीचे प्रशासनिक अधिकारी नहीं लिखवाया बाकी सारा रूतबा एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में गांठता है। जबकि जिस कक्ष पर महोदय ने अपना कब्जा जमा रखा है वास्तव में वह स्टाफ नर्सों का प्रशिक्षण केंद्र है। जहां स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था है लेकिन उस पर चीफ फार्मासिस्ट का ताला बंद रहता है जिसके कारण प्रशिक्षण दूसरे कक्ष में दिया जाता है।

श्रीराम चिकित्सालय में बीते आठ साल से चीफ फार्मासिस्ट के पद पर तैनात हैं यश प्रकाश सिंह। श्रीराम चिकित्सालय ही नहीं पूरे स्वास्थ्य विभाग में इनके रुतबे की चर्चा रहती है। जिस प्रशासनिक कक्ष नम्बर 23 को इन्होंने अपना कार्यकाल बना रखा है उसी के ठीक बगल साफ साफ लाल अक्षरों में प्रशिक्षण केंद्र लिखा हुआ है।

जिससे खुद ही पुष्टि होती है कि यह प्रशासनिक कक्ष न होकर प्रशिक्षण केंद्र हैं। सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक कक्ष केवल प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय को ही निर्धारित किया गया है। इसके बाद भी यहां तैनात चीफ फार्मासिस्ट की करतूत विभागीय नियमों पर सवाल खड़े करती है। बताया जाता है कि प्रशासनिक कक्ष बनाने के पीछे चीफ फार्मासिस्ट द्वारा अपना प्रभाव जमा कर वसूली करना है।

8 साल से कैसे एक ही अस्पताल में जमा है चीफ फार्मासिस्ट

शासकीय नियमों के तहत एक स्थान पर कोई भी कर्मी तीन साल की अवधि से अधिक तैनात नहीं रह सकता है लेकिन यहां श्रीराम चिकित्सालय में चीफ फार्मासिस्ट आठ साल से कुंडली मार कर बैठे हैं। पूर्व सत्रों की तो छोड़िए इस वर्ष के तबादला सत्र में भी इनको कोई इधर से उधर नहीं कर सका। इतनी लम्बी अवधि में वह यहां कैसे तैनात है इसे लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने को नहीं तैयार हैं। जबकि इसी अस्पताल में आठ वर्षों में तीन सीएमएस आ जा चुके हैं।

कोट –
वास्तव में वह प्रशासनिक कक्ष नहीं प्रशिक्षण केंद्र है। चीफ फार्मासिस्ट वहां बैठते हैं तो लिखा लिया होगा पदनाम नहीं लिखा है, फिर भी संबधित से पूछा जायेगा।– डा सत्येन्द्र सिंह, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, श्रीराम चिकित्सालय, अयोध्या

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