मुरादाबाद: सरकारी कार्यालय परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा

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मुरादाबाद, अमृत विचार। जिन हुक्मरानो के कंधे पर नियमों और योजनाओं को पालन कराने का दारोमदार है, वह खुद बेपरवाह हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन को भी सरकारी कार्यालयों और उनके परिसरों में ठेंगा दिखाया जा रहा है। यह हाल तब है जब 3-4 सितंबर को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और …

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिन हुक्मरानो के कंधे पर नियमों और योजनाओं को पालन कराने का दारोमदार है, वह खुद बेपरवाह हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन को भी सरकारी कार्यालयों और उनके परिसरों में ठेंगा दिखाया जा रहा है। यह हाल तब है जब 3-4 सितंबर को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इसके चंद दिन पहले जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को अपने कार्यालयों का भी औचक निरीक्षण कर व्यवस्था में सुधार लाने का सख्त निर्देश दिया था।

जिला और मंडल मुख्यालय पर सरकारी विभागों में अधिकारी स्वच्छ भारत मिशन के प्रति संजीदा नहीं हैं। उनके कार्यालय परिसरों में इसे ठेंगा दिखाया जा रहा है। जबकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। फिर भी जिले में इसके प्रति लापरवाही बरती जा रही है। बात करें सेहत के जिले के मुखिया यानी मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय की। सिविल लाइंस स्थित इनके कार्यालय के गेट पर सड़क टूटी है और सड़क के गड्ढे में पानी और कीचड़ भरा है। वह भी तब जबकि खुद इनके विभाग के द्वारा ही इन दिनों डेंगू, मलेरिया के प्रति लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है।

आमजन को पानी न जमा होने देने का संदेश देने वाले खुद अपने कार्यालय के गेट पर जमा पानी को हटवाने या सड़क की मरम्मत कराने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी का ध्यान नहीं खींच रहे हैं। यही नहीं गेट के पास लगे डस्टबिन के बाद भी उसके आसपास कूड़ा पसरा है। कार्यालय परिसर में भी प्रयोग किए दस्ताने, एक्सपायर दवा और सिरिंज आदि फेंका गया है। लेकिन, न तो जिले के सेहत के मुखिया को इसकी फिक्र है और न उनके अधीनस्थ अपर मुख्य और उप मुख्य चिकित्साधिकारियों की। प्रथम तल पर शौचालय में भी गंदगी की भरमार है।

नगर आयुक्त और महापौर के शिविर कार्यालय परिसर में भी कई जगह कूड़ा और कबाड़ फेंका गया है। पानी की टंकी के नीचे पानी बहकर पसरा रहता है लेकिन, इस पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जाता। जबकि दूसरों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए विभाग समय-समय पर शहर में ढोल भी पीटता रहता है। यही स्थिति कई अन्य विभागों में भी है। बैठकों में स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले अधिकारी खुद के परिसर में इसकी अनदेखी को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। इससे स्वच्छ भारत अभियान महज एक रस्म अदायगी बन रहा है।

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