बरेली: गरीबों के आवासों का करोड़ों का बजट हड़प गए अफसर
बरेली,अमृत विचार। इंदिरा आवासों के निर्माण में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आय़ा है। प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट के मुताबिक फर्जी खातों के जरिए 415 इंदिरा आवासों के लिए जारी 2.91 करोड़ ठिकाने लगा दी गई। मामला 2013 से 2015 के बीच का है। जनरल एंड सोशल सेक्टर ऑडिट के प्रधान महालेखाकार कार्यालय के वरिष्ठ …
बरेली,अमृत विचार। इंदिरा आवासों के निर्माण में बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आय़ा है। प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट के मुताबिक फर्जी खातों के जरिए 415 इंदिरा आवासों के लिए जारी 2.91 करोड़ ठिकाने लगा दी गई। मामला 2013 से 2015 के बीच का है।
जनरल एंड सोशल सेक्टर ऑडिट के प्रधान महालेखाकार कार्यालय के वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी की ओर से डीआरडीए को भेजे पत्र के अनुसार 2013 से 2015 में इंदिरा आवास के तहत जिले में अलग-अलग 313 और 3390 आवास स्वीकृत हुए। इसमें 415 आवास फर्जी नामों से स्वीकृत कर बजट उनके खातों में भेज कुछ समय बाद इस रकम का बंदर बांट कर लिया गया। इतना ही नहीं फर्जी नामों पर जारी बजट के सत्यापन में भी खेल किया गया। सत्यापन सूची से यह नाम हटा दिए गए। यह डाटा वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं हो सका।
वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में आशंका जताई है कि इस बड़े घोटाले का खुलासा किसी प्रभावी आंतरिक नियंत्रण के कारण नहीं हो सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायतों की जांच में मामला प्रकाश में आया था। स्पष्टीकरण मांगने पर जवाब तक नहीं दिया गया। गबन हुई रकम की रिकवरी तो कर ली गई, लेकिन जिम्मेदारों को बचा दिया गया।
बताया जाता है कि यह मामला तीन साल पहले जारी ऑडिट में पकड़ा गया था। इस पर तत्कालीन पीडी से जवाब मांगा गया, लेकिन भ्रामक जवाब देकर मामला रफा दफा करने की कोशिश की गई। हालांकि तार बड़े अफसरों तक जुड़े थे इसलिए जिला विकास अधिकारी के स्तर पर भी इसी तरह अपात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विवरण दर्ज करते समय कोई रजिस्टर नहीं बनाया गया।
इसका फायदा भी एक बार फिर अपात्रों का दूसरी बार चयन, नाम को दो बार फीडिंग करने, गांव छोड़ कर गए लोगों, एक लाभार्थी का दो बार चयन जैसे खेल कर 51 खातों में 20.06 लाख का फिर बंदर बांट कर लिया गया।
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक शेरगढ़, फतेहगंज पश्चिमी और रामनगर में सबसे ज्यादा गड़बड़ी है। इस मामले में संबंधित ब्लाकों के बीडीओ से संबंधित अफसर और कर्मचारियों के उत्तरदायित्व का निर्धारण कर कार्रवाई की संतुति की रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही गई है।
महालेखाकार को भी किया गुमराह
मामले का खुलासा होने के बाद ऑडिट कार्यालय से जवाब तलब हुआ तो जवाब में 2014-15 में चयनित परिवारों को स्थायी प्रतीक्षा सूची में सम्मलित किए जाने, ब्लॉक स्तर पर स्वीकृत आवासों की पंजिका बनाए जाने, अपात्रों को बजट जारी करने वालों से स्पष्टीकरण मांगने की बात कही गई थी। इस जवाब को खारिज कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
