हल्द्वानी: आंगनबाड़ी केंद्र पर ताला, आकाश तले लग रही नौनिहालों की पाठशाला

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लक्ष्मण मेहरा, हल्द्वानी। शहर और ग्रामीण इलाकों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बेहद खराब है। करीब 400 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवनों में चल रहे हैं, जिनका 18 महीने से किराया नहीं दिया गया है। इस कारण मकान स्वामियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला जड़ना शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक …

लक्ष्मण मेहरा, हल्द्वानी। शहर और ग्रामीण इलाकों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बेहद खराब है। करीब 400 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र किराये के भवनों में चल रहे हैं, जिनका 18 महीने से किराया नहीं दिया गया है। इस कारण मकान स्वामियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला जड़ना शुरू कर दिया है।

ऐसा ही एक मामला बाल विकास परियोजना हल्द्वानी शहर के अंतर्गत तिकोनिया रोड रेलवे क्रॉसिंग के समीप संचालित आंगनबाड़ी केंद्र भोटिया पड़ाव गोरखपुर सेकेंड वार्ड-11 का सामने आया है।

एक छोटे से किराये के कमरे में संचालित इस केंद्र में आठ बच्चे पंजीकृत हैं। जिसमें हर दिन बच्चों की पाठशाला लगती है। बीते दिन मकान स्वामिनी कमला देवी ने किराया न मिलने के चलते केंद्र में ताला जड़ दिया। जिस कारण बच्चों की पाठशाला खुले आसमान के नीचे धूप में लग रही है। कमला देवी ने बताया कि लगभग 18 महीने से उन्हें किराया नहीं मिला है। उन्होंने कई बार केंद्र संचालिका व क्षेत्रीय सुपरवाइजर को किराये के लिए कहा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरन उन्हें केंद्र में ताला लगाना पड़ा है।

उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र में करीब 131 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें 126 बडे़ तथा 5 मिनी केंद्र शामिल हैं। दो केंद्रों का संचालन प्राइमरी स्कूल में किया जा रहा है, जबकि 129 केंद्र किराये के भवनों में चल रहे हैं। जिनका अप्रैल 2021 से किराया नहीं दिया गया है। इसके चलते केंद्र संचालिकाओं और मकान स्वामियों के बीच हर दिन किराये को लेकर बहस भी होती है।

आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए बजट केंद्र से आता है। लंबे समय से बजट नहीं आया है। जिस कारण किराये का भुगतान नहीं हो पाया है। मामले में कार्रवाई चल रही है, जल्द धनराशि मिलने की उम्मीद है। – शीला रौतेला, बाल विकास परियोजना अधिकारी (शहर)

आंगनबाड़ी केंद्र का ताला खुलवा दिया गया है। मकान स्वामिनी से दिसंबर तक की मोहलत मांगी गई है। तब तक केंद्र का संचालन पहले की तरह सुचारू रहेगा। – तुलसी बोरा, क्षेत्रीय सुपरवाइजर

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