ट्रेन में चर्चा… क्या BJP 2024 में बजा पाएगी अपना डंका?, नया सियासी पैंतरा

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डेस्क, अमृत विचार। जैसे जैसे 2022 जा रहा है राजनीति पार्टियां 2024 के लिए कमर कसने को तैयार हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में 18 महीने से ज्यादा का समय बचा हुआ है। इस बार देखना भी दिलचस्प होगा एक तरफ कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा कर रही है। दक्षिण से लेकर उत्तर तक चुनावी अभियान से …

डेस्क, अमृत विचार। जैसे जैसे 2022 जा रहा है राजनीति पार्टियां 2024 के लिए कमर कसने को तैयार हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में 18 महीने से ज्यादा का समय बचा हुआ है। इस बार देखना भी दिलचस्प होगा एक तरफ कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा कर रही है। दक्षिण से लेकर उत्तर तक चुनावी अभियान से शुरुआत कर लोगों को जोड़ने का काम कर रही है। जदयू नेता नीतीश कुमार और राकांपा प्रमुख शरद पवार भी चुनाव की तैयारियों में जुटे गए हैं।

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इधर बीजेपी भी 2024 में कोई जोखिम यानी किसी भी तरह की गलती नहीं करना चाहती जिससे वोट बैंक खराब हो। इसीलिए बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नया पैंतरा आजमाने के मुड में है। जानकारी के मुताबिक बीजेपी ट्रेन में चर्चा अभियान चलाने जा रही है। इस अभियान के तहत ट्रेन में किसी तरह का विज्ञापन नहीं होगा लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता यात्रियों से संवाद कर बीजेपी की उपलब्धियां गिनाएंगे।

कैसे काम करेगा ट्रेन में चर्चा अभियान
जानकारी के मुताबिक भाजपा ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपनी कार्यकर्ताओं की टीमों का गठन शुरू कर दिया है। बनाई गई टीम को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। कार्यकार्ताओं की टीम बीजेपी की उपलब्धता गिनाने के साथ साथ लोगों का रुख जानने की कोशिश भी करेगी। इसके अलावा सांप्रदायिक समीकरणों और उम्मीदवारों के विकल्प पर यात्रियों से चर्चा करेंगी।

फिलहाल अभी गुजरात और हिमाचल के लिए ट्रेन में चर्चा अभियान का पूरा लेआउट तैयार कर लिया गया है। साथ ही कार्यकर्ताओं का एक कैलेंडर बनाया गया है। यह कार्यकर्ता दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों मे सफर करेंगे। क्योंकि गुजरात -हिमाचल में इन राज्यों से आने वालों की संख्या ज्यादा होती है तो कार्यकर्ता भी उन्हीं ट्रेनों पर फोकस रखेंगे।

अभियान से इन राज्यों पर भी रहेगी नजर
जानाकारी के मुताबिक भाजपा यह रणनीति अन्य राज्यों में भी इस्तेमाल करेगी। आम चुनाव के दौरान पार्टी के नेता उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम, पश्चिम बंगाल और झारखंड की ट्रेनों में बैठकर सफर करेंगे। सहयात्रियों से ट्रेन में चर्चा करेंगे। चर्चा के दौरान वोटरों की मंशा उनके विचार जानने की कोशिश करेंगे। वोटरों को रिझाने के लिए बीजेपी की उपलब्धियों को भी गिनाएंगे

इससे पहले भी यह फॉर्मुला किया गया था इस्तेमाल
अगर कुछ साल पहले देखें तो 2014 में आपको यह रणनीति मिल जाएगी। इसकी नींव भी भारतीय जनता पार्टी ने डाली थी। 2014 को लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए यह तरिका अपनाया गया था। उस दौरान चाय पर चर्चा अभियान नाम दिया गया था। इसमें भाजपा महिला ब्रिगेड और युवा मोर्चा ने गुजरात से अन्य राज्यों जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों को चाय पिलाई थी और वोटरों की मंशा जानने की कोशिश की थी। यह रणनीति बीजेपी को अच्छी साबित हुई थी।

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