बरेली: शरद पूर्णिमा पर करेंगे चंद्रदेव अमृत वर्षा, मां लक्ष्मी की उपासना से मिलेगा धन-धान्य

Amrit Vichar Network
Published By Amrit Vichar
On

बरेली, अमृत विचार। आश्विन मास की शरद पूर्णिमा वर्ष की सभी पूर्णिमाओं में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन राधा-कृष्ण की आराधना के लिए यह पूर्णिमा सर्वोपरि मानी गई है। यह पूर्णिमा 9 अक्टूबर यानि रविवार को मनाई जायेगी। शरद पूर्णिमा को  रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन महालक्ष्मी …

बरेली, अमृत विचार। आश्विन मास की शरद पूर्णिमा वर्ष की सभी पूर्णिमाओं में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन राधा-कृष्ण की आराधना के लिए यह पूर्णिमा सर्वोपरि मानी गई है। यह पूर्णिमा 9 अक्टूबर यानि रविवार को मनाई जायेगी। शरद पूर्णिमा को  रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को सिद्ध किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें- बरेली: 66वीं प्रदेशीय विद्यालीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन, 18 मंडलों की टीमें कर रही हैं प्रतिभाग

इस बारे में पंडित रमाकांत दीक्षित ने बताया श्रीमद़्भागवत के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अद्भूत ओर दिव्य रासलीलाओं का आरम्भ हुआ था। पूर्णिमा की चांदनी में यमुनाजी के निकट वृन्दावन के निधिवन में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वंय के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रूप में आकर ब्रज में महारास रचाया था इसलिए इस महीने की पूर्णिमा का महत्व ओर भी बढ़ जाता है।

इस दिन चंद्रदेव की पूजा अर्चना करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था,इसलिए लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में बैठने से शारीरिक रोगो से मुक्ति मिलती है। श्वास एवं पित्त संबंधी बीमारी दूर होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्र दर्शन करने से नेत्र संबंधी रोग दूर हो जाते है। नेत्र ज्योति बढ़ती है। इस रात्रि खीर का भोग लगाकर आसमान के नीचे रखा जाती है एवं सुबह भोग लगाकर वितरित की जाती है। इस रात्रि में जागरण करने और मां लक्ष्मी की उपासना से धन धान्य की प्राप्ति होती है। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है।

ये भी पढ़ें- बरेली: रोटरी क्लब मेले पर बारिश का खतरा, व्यवस्थाओं में लगे पदाधिकारी

संबंधित समाचार