देहरादून: सचिव एमएस कन्याल की पत्नी के घर में हुई वीपीडीओ परीक्षा में धांधली

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देहरादून, अमृत विचार। वीपीडीओ भर्ती में धांधली में एक और नई बात सामने आ रही है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वीपीडीओ भर्ती में घपला करवाने के लिए सचिव एमएस कन्याल की पत्नी का घर किराये पर लिया था। इसी घर में अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा नियंत्रक और कंपनी के सीईओ की मौजूदगी में ओएमआर …

देहरादून, अमृत विचार। वीपीडीओ भर्ती में धांधली में एक और नई बात सामने आ रही है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वीपीडीओ भर्ती में घपला करवाने के लिए सचिव एमएस कन्याल की पत्नी का घर किराये पर लिया था। इसी घर में अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा नियंत्रक और कंपनी के सीईओ की मौजूदगी में ओएमआर शीटों को स्कैन कर फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया। इसी के साथ पैसे लेने के बाद अभ्यर्थियों को खाली ओएमआर शीट देकर उन्हें सही उत्तरों से काला किया गया था।

यह भी बताया जा रहा है की इन सात लोगों में से पांच जेल जा चुके हैं, जबकि दो को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है। एसटीएफ की जांच में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। एसटीएफ के अनुसार, इस मामले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. आरबीएस रावत को मास्टरमाइंड बताया जा रहे है। जांच में पाया गया की रावत के कहने पर ही कन्याल ने आरएमएस कंपनी के सीईओ राजेश पाल से संपर्क किया था।

परीक्षा में धांधली की पूरी कहानी राजेश पाल ने तैयार की थी। रावत के कहने पर आयोग के नाम से पित्थूवाला स्थित एमएस कन्याल की पत्नी के नाम का घर किराये पर लिया गया। यहां दो कमरों को ऑफिस बनाया गया। आरोपियों ने पहले से ही लगभग 50 अभ्यर्थियों के रोल नंबर लिए थे। इस ऑफिस में रिजल्ट तैयार करने का काम शुरू हुआ। इनसे पहले ही कह दिया गया था कि अपनी-अपनी ओएमआर शीटों में गोले खाली रखने हैं।

ओएमआर शीटों की स्कैनिंग से पहले इस ऑफिस में गोले काले किए गए। इस दौरान वहां आरबीएस रावत, एमएस कन्याल, आरएमएस कंपनी का सीईओ राजेश पाल, कर्मचारी विपिन बिहारी, परीक्षा नियंत्रक राजेश पोखरिया मौजूद थे। इनमें से अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक को शनिवार को जेल भेजा गया है। जबकि, सीईओ राजेश पाल और विपिन बिहारी पहले ही जेल जा चुके हैं। दो को एसटीएफ ने सरकारी गवाह बनाया है।

बता दें कि इस परीक्षा में एक अभ्यर्थी से सात से आठ लाख रुपये का सौदा हुआ था। नकल सिंडीकेट के कहने पर सभी कन्याल से मिले थे। यह भी पता चला है कि ऊधमसिंह नगर जिले के एक गांव के 20 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने इस सिंडीकेट को पैसे दिए थे।

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