व्यापक रणनीतिक साझेदारी
भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा महत्वपूर्ण कही जा सकती है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बाद से भारत और आस्ट्रेलिया एक दूसरे के निकट आए हैं। खासकर क्वाड के गठन के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आई है। दोनों पक्षों …
भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा महत्वपूर्ण कही जा सकती है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बाद से भारत और आस्ट्रेलिया एक दूसरे के निकट आए हैं। खासकर क्वाड के गठन के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आई है। दोनों पक्षों के बीच एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों की निकटता को चीन एक चुनौती के रूप में लेता है।
चीन ने सैन्य बल और आर्थिक व व्यापारिक दबाव के इस्तेमाल से भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों को संतुलन से दूर रखने के लिए बार-बार प्रयास किए हैं लेकिन दोनों देशों ने चीन से खतरे को दूर करने के अपने प्रयासों को मजबूत किया है। एक अमेरिकी सुरक्षा गठबंधन का भागीदार होने के बावजूद, इंडो-पैसिफिक में कई रणनीतिक साझेदारियों को स्थापित करने और पोषित करने के लिए आस्ट्रेलिया ने कदम उठाए हैं।
भारत भी आस्ट्रेलिया के साथ अपने संबंधों को काफी अहमियत देता है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारतीय विदेश मंत्री आठ महीने में दो बार आस्ट्रेलिया की यात्रा पर जा चुके हैं। हाल के वर्षों में मजबूत रक्षा संबंधों को बढ़ावा मिला है। दोनों देशों की सेनाओं ने द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया है।ऑस्ट्रेलिया-भारत नेतृत्व वार्ता में विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा कि मजबूत द्विपक्षीय संबंध आज दोनों देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावी ढंग से योगदान करने की अनुमति देता है।
उन्होंने समुद्री सुरक्षा और आपसी रसद समर्थन से लेकर साइबर-सक्षम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों, जल संसाधन प्रबंधन, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के साथ-साथ सार्वजनिक प्रशासन में सहयोग के लिए द्विपक्षीय संबंधों की बहुमुखी और व्यापक प्रकृति को भी सामने रखा। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि एक स्थिर और समृद्ध क्षेत्र में जहां संप्रभुता का सम्मान किया जाता है, हमारे साझा हित और साझा महत्वाकांक्षाएं हैं।
ऑस्ट्रेलिया के लिए, भारत के साथ हमारी साझेदारी उस क्षेत्र को आकार देने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे हम चाहते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया किसी एक देश को हावी नहीं देखना चाहते हैं।अच्छी बात है कि दोनों देश इस बात को बेहतर ढंग से समझ पाए हैं कि महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में क्या करने की आवश्यकता है। इससे ऑस्ट्रेलियाई पक्ष को भारत के गगनयान मिशन के लिए अस्थायी टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड सेंटर के लिए सहायता प्रदान करने में मदद मिली है।
