दीपावली का संदेश

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भारतीय पर्वों की एक विशेषता यह है कि हर पर्व कोई न कोई संदेश लिए आता है। दीपावली का संदेश है असतो मा सद्गमय/असतो मा ज्योतर्गमय अर्थात मुझे असत्य से सत्य की ओर व अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। सत्य से प्रकाशित समाज की संरचना का यह मूल मंत्र है। दीपावली प्रकाश का …

भारतीय पर्वों की एक विशेषता यह है कि हर पर्व कोई न कोई संदेश लिए आता है। दीपावली का संदेश है असतो मा सद्गमय/असतो मा ज्योतर्गमय अर्थात मुझे असत्य से सत्य की ओर व अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। सत्य से प्रकाशित समाज की संरचना का यह मूल मंत्र है। दीपावली प्रकाश का पर्व है। नई रोशनी की खोज का पर्व है। आत्म निरीक्षण का पर्व है। दीपावली नई शुरुआत का, आगे बढ़ने का, जीवन में जड़ जमाए बैठी नकारात्मक वृत्तियों को छोड़कर ताजगी के साथ आगे बढ़ने का संदेश देती है। दीपावली असल में लक्ष्मी को बंधनमुक्त करने का दिन है। तलाशना होगा कि लक्ष्मी कहां कैद है।

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सच्चाई यह है कि त्योहार मनाने के तरीके समय के साथ बदलते रहे हैं। पहले कल्पना में भी यह बात नहीं आती होगी कि बिजली के बल्ब दिवाली की रात में मिट्टी के दीयों की जगह ले लेंगे। समय के साथ उत्सवों की मूल धारणा पीछे छूट गई। दीपावली पर पारिवारिक परिवेश हर्षोल्लास का होता है। पहले त्योहार सामूहिकता को बढ़ावा देते थे, आज इसकी कोई जरूरत ही नहीं रह गई है। त्योहारों को भी हमने बाजार के हवाले छोड़ दिया है। इन्हें मनाने के लिए जो भी चीजें हमें चाहिए, उन सबको बाजार हमें उपलब्ध करा दे रहा है।

हालांकि धर्म, संस्कार, उत्सव, मेले-ठेले आदि का सकारात्मक आयाम यह है कि वे बाजार को मंदी से निकालते हैं। दिवाली के बाजार केंद्रित होने का पहला असर यह है कि जिसकी जेब ज्यादा भारी है उसकी दिवाली ज्यादा रोशन और जगमग है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए प्रकाश पर्व फीका ही रह जाता है। देश में कितने ही फीसदी लोग अभावों के कारण दीपावली नहीं मना पाते।

दीपावली हम मनाते थे, नई ऊर्जा ग्रहण करने के लिए, पुरानी इल्लतों से घर को मुक्त करने के लिए, गंदगी और अस्वच्छता से मुक्त होने के लिए, लेकिन अब एकदम उलटा हो रहा है, दीपावली माने भयानक प्रदूषण, शहरों में दिवाली के बाद गली-मुहल्लों में गंदगी का अम्बार लग जाता है। इससे दीपावली के बुनियादी लक्ष्य को क्षति पहुंचती है। इसलिए हमें पटाखों के बगैर दिवाली मनाने के बारे में सोचना चाहिए। दीपावली में निहित सत्य से साक्षात्कार के लिए इस बात को हृदयंगम करना हम सबका लक्ष्य होना चाहिए कि हमें हृदय में प्रकाश करना है, प्रेम के दीपक से। दीपावली पर एक ही आकांक्षा है जिसे सदियों से भारतवासी व्यक्त कर रहे हैं कि समाज में दुख और दरिद्रता का नाश हो।

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