व्हाइट हाउस में मनाया गया दिवाली का जश्न, बाइडेन ने आयोजित किया सबसे बड़ा समारोह

व्हाइट हाउस में मनाया गया दिवाली का जश्न, बाइडेन ने आयोजित किया सबसे बड़ा समारोह

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन ने सोमवार को व्हाइट हाउस में दिवाली समारोह की मेजबानी की। उन्होंने कहा कि जॉर्ज बुश प्रशासन ने जब से व्हाइट हाउस में दिवाली मनाने का सिलसिला शुरू किया है, तब से यह अब तक का सबसे बड़ा समारोह है। ईस्ट रूम में आयोजित …

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और उनकी पत्नी जिल बाइडन ने सोमवार को व्हाइट हाउस में दिवाली समारोह की मेजबानी की। उन्होंने कहा कि जॉर्ज बुश प्रशासन ने जब से व्हाइट हाउस में दिवाली मनाने का सिलसिला शुरू किया है, तब से यह अब तक का सबसे बड़ा समारोह है। ईस्ट रूम में आयोजित समारोह में 200 से अधिक प्रख्यात भारतीय-अमेरिकियों ने शिरकत की।

ईस्ट रूम भारत-अमेरिका रिश्तों से संबंधित विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है, जिनमें 2008 में परमाणु करार पर हस्ताक्षर किया जाना और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व उस समय भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का संवाददाता सम्मेलन होना शामिल है। दिवाली समारोह के दौरान कुछ आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखे गए, जिसमें सितारवादक ऋषभ शर्मा और नृत्य मंडली ‘द सा डांस कंपनी’ की प्रस्तुतियां शामिल रहीं।

साड़ी, लहंगा और शेरवानी जैसे पारंपरिक भारतीय परिधान पहने मेहमानों ने भारतीय व्यंजनों का लुत्फ उठाया। ‘यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल’ के अध्यक्ष अतुल केशप ने समारोह के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “भारतीय अमेरिकी समुदाय ने अमेरिका में जो हासिल किया है, यह उसका जश्न है। दिवाली पर हमारी मेजबानी के लिए हम राष्ट्रपति और व्हाइट हाउस के आभारी हैं। मैं एक भारतीय अमेरिकी के रूप में यहां आकर बहुत ही भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।”

अमेरिका के सबसे बड़े दक्षिण एशियाई टेलीविजन चैनल ‘टीवी एशिया’ के चेयरमैन और सीईओ एच आर शाह ने कहा, “दिवाली मनाने यहां आना एक सम्मान और सौभाग्य की बात है। भारतीय अमेरिकी इसके लिए राष्ट्रपति और प्रथम महिला के आभारी हैं।” इससे पहले मेहमानों का स्वागत करते हुए बाइडन ने कहा कि व्हाइट हाउस में इतने बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाला यह पहला दिवाली समारोह है। उन्होंने कहा, “ दक्षिण एशियाई समुदाय ने देश को महामारी से बाहर निकालने में मदद की है। साथ ही एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया है, जिसमें सभी के लिए काम किया जाता है।”

इस बीच, अमेरिका मे कई भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने दिवाली का जश्न मनाते हुए समुदाय के योगदान और आधुनिक विश्व में दीपोत्सव की प्रासंगिकता की झलक पेश की। दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने सोमवार को कहा, “दुनियाभर में प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है, ऐसे में मैं आशा करता हूं कि हम अमेरिका और दुनिया भर में चुनौती व अनिश्चितता के समय में बेहतर भविष्य के लिए इस ऊर्जा और उत्साह का इस्तेमाल करेंगे।” भारतीय अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा कि दिवाली एक ऐसा अवसर है जो याद दिलाता है कि स्वतंत्रता, अच्छाई और कर्म की हमेशा जीत होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “आइए इस प्रकाशोत्सव पर हम अपने कर्मों से हमारे समुदायों और हमारे आस-पास के लोगों के जीवन में आशा, खुशियां और प्रकाश लाने का संकल्प लें। अब हमें नफरत, इस्लामोफोबिया और नस्लवाद के खिलाफ पहले से कहीं अधिक मजबूती से खड़ा होने और यह दोहराने की जरूरत है कि हमारे देश में इनके लिए कोई स्थान नहीं है।” भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा कि दिवाली एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षण है जब हम मुश्किल समय में भी सबकुछ भुलाकर जश्न मनाते हैं। उन्होंने कहा, “प्रकाश की हमेशा अंधेरे पर विजय होती रहेगी।”

‘मां की वजह से अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन पाई हूं’

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि वह इस पद पर पहुंचने का श्रेय अपनी भारतीय-अमेरिकी मां के समर्पण, दृढ़ संकल्प और साहस को देती हैं। हैरिस भारतीय मूल की पहली अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन की मेजबानी में आयोजित दिवाली समारोह में 200 से अधिक प्रख्यात भारतीय-अमेरिकियों की मौजूदगी में उन्होंने कहा, “उनके समर्पण, दृढ़ संकल्प और साहस के कारण ही मैं अमेरिका की उपराष्ट्रपति के रूप में आपके सामने खड़ी हूं।”उन्होंने बचपन में चेन्नई की अपनी यात्राओं और नाना-नानी के साथ दिवाली मनाने को याद किया। हैरिस ने कहा, “बचपन में दिवाली की मेरे पास बहुत सी अच्छी यादें हैं।

आप में से कई लोगों की तरह, हम हर दूसरे साल भारत जाते थे, और दिवाली मनाते थे।” उन्होंने कहा, “शाम के समय मेरी मां हमें फुलझड़ियां देती थीं और हम गलियों में जाकर इस बेहद खास अवसर का जश्न मनाते थे।” हैरिस ने कहा कि उनकी मां 19 साल की उम्र में पढ़ाई के लिए अमेरिका आई थीं। उन्होंने कहा, “वह अपने आप आईं। स्तन कैंसर रिसर्चर बनना उनका लक्ष्य था।और हमारे देश में, इस देश में, उन्होंने अपना करियर बनाया। उन्होंने पीएचडी की उपाधि हासिल की, अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और मेरी बहन तथा मुझे पाला। ” दिवाली के बारे में उन्होंने कहा कि यह त्योहार लोगों को अपनी और एक-दूसरे की अच्छी बातों को जानने का अवसर देता है। उन्होंने कहा, “ यह हमें शांति, न्याय, ज्ञान के लिए संघर्ष करने और अंधेरे में प्रकाश फैलाने की भी याद दिलाता है।”

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