अल्मोड़ा: सल्ट की प्रसिद्ध लखौरी मिर्च की खेती से सरकार ने मुंह फेरा

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रमेश जड़ौत, अल्मोड़ा। सल्ट और भिकियासैंण क्षेत्र की लखौरा घाटी में होनी वाली लखौरी मिर्च को अपने राज्य में भी वो पहचान नहीं मिल पाई जिसकी वह हकदार है। मिर्च उत्पादन के लिए पूरे देशभर में प्रसिद्ध इस घाटी की मिर्च आज भी सरकार के प्रोत्साहन की बाट जोह रही है।

पीले रंग की मिर्च की यह विशेष किस्म लखौरा घाटी में पैदा होती है। इसी कारण इसका नाम लखौरी मिर्च पड़ा, लेकिन सरकार की कोई ठोस योजना नहीं होने के कारण आज भी किसान इसे बिचौलियों केहाथों बेचने को मजबूर हैं। 

गढ़वाल सीमा से लगी लखौरा घाटी के सराईखेत, कफलगांव, बुरांसपानी, मठखानी, गाजर, इकूरौला, जुनियागढी, घनियाल, मगरूखाल, चक्करगांव, मसमोली, सीमगांव, गुदलेख समेत अनेक गांवों के खेतों की चिकनी मिट्टी में यह मिर्च भारी मात्रा में पैदा होती है। रंग में हल्की पीली इस मिर्च की उत्पाद बाहुल्यता के चलते ही इस घाटी के नाम पर मिर्च को भी लखौरी मिर्च का नाम दिया गया। यह मिर्च स्वाद में अन्य मिर्च प्रजाति से तीखी तो होती है, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाने पर शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है।

कम वर्षा में भी होने वाली मिर्च का अपना व्यवसायिक महत्व है। यह रामनगर की मंडी में जाकर चार सौ से एक हजार रुपये किलो तक बिकती है। रामनगर से यह मिर्च कानपुर समेत देश के विभिन्न मंडियों तक पहुंचती है, इसका उपयोग मुख्य रूप से आसू गैंस के भीतर मसाले के रूप में उपयोग भी होता है। क्षेत्र के किसान पूरे वर्ष आजीविका का खर्च भी मिर्च उत्पादन से ही चलाते हैं। किसानों का कहना है इस खास किस्म की मिर्च को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य की अब तक की सरकारों की ओर से कोई कारगर नीति नहीं बनाई गई, जिससे उनके इस उत्पाद को उतना महत्व नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था।

सल्ट क्षेत्र की इस मिर्च को व्यवसायिक दृष्टि से और अधिक लाभदायक बनाने और सरकार की ओर से ठोस उपाय करने का वर्षों से इंतजार कर रहे ग्रामीणों को पिछले पूर्व में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की घोषणा के बाद कुछ उम्मीद जगी थी। सीएम ने इस मिर्च की खेती के विकास के लिए ठोस प्रयास करने और मानिला में इससे आधारित उद्योग की स्थापना की घोषणा की थी। लेकिन घोषणा के अनुरूप आज तक कुछ नहीं हो पाया। 

लखौरी मिर्च पूरे देश में विशिष्ठ पहचान बनाए है। इस पर आधारित लघु उद्योग स्थापित कर किसानों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से भी प्रोत्साहन दिया जाए।

- नारायण सिंह रावत, पूर्व जिला पंचायत सदस्य, सल्ट 

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