Kanpur के Jhakarkati Bus Adda से चलने वाली बसों की हालत जर्जर, यात्रियों की जान से हो रहा खिलवाड़, अधिकारी बेपरवाह
कानपुर के झकरकट्टी बस अड्डे से चलनी वाली बसों की हालत जर्जर हो चुकी है। बसों में न तो बल्ब है, न ही प्राथमिक उपचार का बाक्स भी नहीं है। इतना ही नहीं, अग्निकांड में इस्तेमाल होने वाला सिलंडर भी खाली है। जबकि अधिकारी सब कुछ जानने के बाद भी अंजान बने हुए है।
कानपुर, अमृत विचार। परिवहन विभाग के अधिकारी यात्रियों की सुरक्षा व यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर कितने सजग है। यह रविवार झकरकटी बस स्टैंड पर देखने को मिला। सभी बसें पूरी तरह जर्जर थी। यात्रियों की सीटें मरम्मत के अभाव में फटी थी। अग्निकांड से सुरक्षा देने वाला सिलेंडर भी खाली था। प्राथमिक उपचार वाला बाक्स भी सुतली से बंधा था।

चालकों ने बताया कि महीनों से स्थिति यही है। सभी विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। स्थिति तो यह है कि रात को बस लेकर लंबी दूरी में चलते है वे स्वंय के पैसे हेड लाइट के बल्ब और फॉगिग लाइट लगवाने को विवश है। हमारी मजबूरी है कि यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जेब से लाइटें लगवाते हैं। महानगर के बस स्टैंडों से प्रतिदिन सैंकडों बसे हजारों यात्रियों को लेकर भगवान के सहारे यात्रा करने को विवश है।
शहर में किदवईनगर, चुन्नीगंज व झकरकटी बस स्टैंड हैं। सभी से पूरा दिन और रात मिलाकर पांच से अधिक बसें यात्रियों को लेकर दूसरे जिलों में जाती है। सबसे अधिक बसों वाला स्टैंड झकरकटी है। यहां से प्रतिदिन दस हजार से अधिक यात्री पांच से अधिक बसों के संचालने से दिल्ली, गाजियाबाद, इटावा, कन्नौज, बनारस, गोरखपुर, सोनौली, इलाहाबाद, जौनपुर, गुजरात, आगरा सहित पूरे प्रदेश और प्रदेश के बाहर जाती है।
लंबी दूरी की बसें अधिकांश रात के समय भी निकलती है। लेकिन इन बसों में यात्रियों की सुरक्षा वाला कोई मानक पूरा नहीं हैं। रात को यात्रियों को लेकर बाहर निकलने वाली बसों में मात्र एक लाइट ही जलती है। दूसरी लाइट टूटी होने के कारण रिपेयरिंग विभाग से संभव नहीं हो पाती।
झकरकटी बस अड्डा से सोनौली बस लेकर जाने वाले चालक अशोक ने बताया कि सारी वस्तुस्थिति से अधिकारी अवगत है। कईबार नाइट चालकों ने विभाग के अधिकारियों को लाइट के लिए कहा। लेकिन उन्होंने डांटकर भगा दिया। अधिक दवाब बनाने पर उनपर ही कार्यवाही की धमकी देते है।
गोरखपुर चालक महेन्द्र कुमार ने बताया कि अभी से रात के समय कोहरा रास्ते में होता है। फॉगिग लाइट के बना चलना संभव नहीं है। जेब से लाइटें अगर न लगवाये तो कुछ भी हो सकता है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बसों को रात के लिए आंखे देते हैं।
