IIT Kanpur और USA की राइस यूनिवर्सिटी ने किया करार, स्वास्थ्य, Cyber सिक्योरिटी, डेटा साइंस पर होगा काम

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Published By Kanpur Digital
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कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञ यूएसए जाएंगे। इसके बाद वहां के छात्र-छात्राएं संस्थान में आएंगे। इसके लिए आईआईटी और यूएसए की राइस यूनिवर्सिटी ने करार किया है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आईआईटी के विभागों को देखा है।

कानपुर, अमृत विचार। देश में स्वास्थ्य, साइबर सिक्योरिटी, डेटा साइंस समेत अन्य क्षेत्रों में शोध व शिक्षण कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। कई तरह के प्रोजेक्ट संचालित होंगे, जिससे तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ यूएसए जाएंगे, जबकि वहां के छात्र-छात्राएं संस्थान में आएंगे।

यह सब सोमवार को आईआईटी कानपुर और यूएसए की राइस यूनिवर्सिटी के बीच हुए करार के बाद संभाव हो सकेगा। यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने संस्थान का दौरा किया। कई तरह के प्रोजेक्ट कार्यें को देखा।

आईआईटी की ओर से निदेशक प्रो. अभय करंदीकर, उप निदेशक प्रो. एस गणेश, डीन इंटरनेशनल रिलेशंस प्रो. डीएस कट्टी ने एमओयू साइन किया, जबकि राइस यूनिवर्सिटी की ओर से डीन ऑफ ग्रेजुएट एंड पोस्ट डॉक्टरल स्टडीज प्रो. सेइची मात्सुदा, डीन ऑफ जार्ज आर ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग प्रो. लुए नखलेह आदि शामिल हुए। दोनों संस्थानों के बीच आगे की रणनीति तय हुई।

आईआईटी और राइस यूनिवर्सिटी के बीच संस्थान में पहले सतत ऊर्जा, सामग्री, पानी, वैकल्पिक ईंधन का केंद्र संचालित किया जा रहा है। निदेशक ने बताया कि राइस-आईआईटी के सहयोग से संयुक्त अनुसंधान शुरू किया  जाएगा। एक वर्चुअल संयुक्त संगोष्ठी का आयोजन होगा, जबकि छात्रों के लिए शोध के साथ ही स्टार्टअप करने में मदद मिलेगी। दुनिया भर के विद्वानों, नीति निर्माताओं और व्यापारिक लीडरों को शामिल करने वाले संयुक्त सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।

डूअल डिग्री कार्यक्रम किए जाएंगे संचालित

आईआईटी और राइस यूनिवर्सिटी मिलकर डूअल डिग्री कार्यक्रम चलाएंगी, जिसमें दोनों देशों के छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ ही शोध कर सकेंगे। यह कार्यक्रम दोनों संस्थानों के सहयोग से संचालित होगा। छात्रों को डिग्री दोनों संस्थानों की ओर से संयुक्त रूप से मिलेगी।

मेक इन इंडिया थीम पर बनेंगे उपकरण 

प्रो. डीएस कट्टी ने बताया कि करार के बाद स्वास्थ्य, सतत उर्जा और अन्य क्षेत्रों में उपकरण विकसित किए जाएंगे। यह मेक इन इंडिया तकनीक पर बनेंगे। इसमें छोटे पुर्जे से लेकर पूरी मशीन तैयार होगी। छात्र-छात्राएं इसी के सहारे उद्यमिता विकास कर सकेंगे।

 

 

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