प्रख्यात लेखिका मनु भंडारी की पुण्यतिथि आज, 'आपका बंटी' और 'महाभोज' जैसी रचनाओं ने दिलाई थी पहचान
नई दिल्ली। 15 नवंबर 2021 को प्रख्यात लेखिका मनु भंडारी का निधन हो गया था। आज उनकी पुण्यतिथि है। 'आपका बंटी' और 'महाभोज' जैसी रचनाएं देने वाली लेकिका मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 को हुआ था। मन्नू भंडारी अपने जीवन काल में दो हिंदी उपन्यासों आप का बंटी और महाभोज के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अक्सर नई कहानी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक के रूप में जाना जाता है। 90 वर्ष की मन्नू अपने लेखन में पुरुषवादी समाज पर चोट करती थीं। उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं हैं। इनमें से कुछ पर फिल्म भी बनी थी।
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वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाती थीं। साहित्यकार राजेंद्र यादव उनके पति थे। मन्नू भंडारी ने 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'एक प्लेट सैलाब', 'यही सच है', 'आंखों देखा झूठ' और 'त्रिशंकु' जैसी कई कहानियां लिखीं। इसके अलावा भी मन्नू भंडारी ने बहुत सारी बेहतरीन कहानियां और उपन्यास लिखे। उनकी लिखी कहानी 'यही सच है' पर 'रजनीगंधा' फिल्म बनी थी। इसे बासु चटर्जी ने बनाया था।
मन्नू भंडारी को सबसे ज्यादा शोहरत 'आपका बंटी' से मिली थी। इसमें प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक रिश्ते के टूटने-बिखरने की कहानी है। इसे हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। इस पर 'समय की धारा' नाम की फिल्म भी बनी थी। इस किताब का अनुवाद बांग्ला, अंग्रेजी और फ्रांसीसी में हुआ।
मन्नू भंडारी उन लेखिकाओ में से एक हैं, जिन्होंने महिलाओं के स्वतंत्र और बौद्धिक चरित्रों को जन्म दिया। उन्होंने यौन व्यवहार, भावनात्मक, मानसिक और आर्थिक शोषण जैसे पहलूओं पर विचार कर भारतीय समाज में महिलाओं को बहुत कमजोर स्थिति पर प्रकाश डाला। मन्नू भंडारी की कहानियों में महिला पात्रों को मजबूत, स्वतंत्र व्यक्तियों के रूप में चित्रित किया गया है, जो पुरानी रुढिवादिता को तोड़ती हुई नजर आती है और एक 'नई महिला' की छवि बनाती हैं।
मन्नू भंडारी की ज्यादातर कहानियां लैंगिक असमानता से जुड़ी हैं। उन्होंने कामकाजी और शिक्षित महिलाओं पर भी बहुत काम किया। मन्नू भंडारी ने अपने दूसरे उपन्यास, आप का बंटी के अधिकार बेच दिए और बाद में इसे धर्मेंद्र गोयल द्वारा निर्मित और शिशिर मिश्रा द्वारा निर्देशित फिल्म के रूप में इस्तेमाल किया गया।
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