नैनीताल: हाईकोर्ट के अधिवक्ता रहे कार्य बहिष्कार पर, सरकार का पुतला फूंका

नैनीताल: हाईकोर्ट के अधिवक्ता रहे कार्य बहिष्कार पर, सरकार का पुतला फूंका

नैनीताल/हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने के राज्य कैबिनेट के फैसले के विरोध और राज्य के कतिपय अधीनस्थ न्यायालयों के अधिकारियों पर अधिवक्ताओं के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार न करने के आरोप में उत्तराखंड बार कौंसिल के आह्वान पर गुरुवार को हाईकोर्ट, नैनीताल के अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे।  

हाईकोर्ट बार एसोसियशन के अध्यक्ष प्रभाकर जोशी ने बताया कि उन्होंने 16 नवंबर को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर 17 नवंबर को उत्तराखंड बार कौंसिल के आह्वान पर न्यायिक कार्यों से विरत रहने की जानकारी देते हुए किसी भी मामले में एकतरफा निर्णय न लेने का आग्रह किया था।

इस क्रम में गुरुवार को अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे। उन्होंने बताया कि राज्य के कतिपय अधीनस्थ न्यायालयों के अधिकारियों पर अधिवक्ताओं के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार न करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिसके विरोध में बार कौंसिल ऑफ उत्तराखंड ने गुरुवार को एकदिवसीय आंदोलन करने का निर्णय लिया था।

कैबिनेट में लिए गए हाईकोर्ट शिफ्टिंग के फैसले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अधिवक्ताओं ने गुरुवार को महत्वपूर्ण बैठक करने के बाद उच्च न्यायालय के गेट नंबर 7 पर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए पुतला फूंका।

अधिवक्ता योगेश पचोलिया ने इस दौरान कहा कि राज्य सरकार के एकमात्र पहाड़ स्थित संस्थान को तराई में शिफ्ट करने का फैसला बिना अधिवक्ताओं को विश्वास में लिया गया है जिसका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पुरजोर विरोध करती है। अभी अधिवक्ता मजबूती से लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। 

अधिवक्ता डीएस मेहता ने कहा कि सरकार का यह निर्णय पलायन को और बढ़ावा देगा। अभी तक पहाड़ से 30 लाख लोग पलायन कर चुके है और करीब 1000 गांव बंजर हो चुके हैं। जहां सरकार एक ओर पलायन नीति बनाती है। वहीं, दूसरी ओर सरकार लोगो को पलायन करने के लिए मजबूर कर रही है। पहाड़ से प्रदेश की न्यायिक राजधानी को शिफ्ट करना गलत है।

पूर्व सांसद महेंद्र पाल ने कहा कि हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। इसकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसके लिए किसी से पूछा तक नहीं, यहां तक कि अपने विधायकों से तक नही। तो देश विदेश में प्रदेश का नाम बढ़ता राज्य आंदोलनकारी रमन कुमार साह ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय को कानूनी तौर पर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा जाएगा।

राज्य सरकार जितना धन उच्च न्यायलय को शिफ्ट करने में लगा रही है, अगर उसका कुछ हिस्सा इसकी सुविधाओ में खर्च करती तो यह उच्च न्यायालय देश विदेश में प्रदेश का नाम और आगे बढ़ाता। कहा कि गर्मी, जाड़ा, वर्षांत, बारिश, भूस्खलन, आपदा व भूकंप, यह सरकार के हाथ में नहीं है कि जो हल्द्वानी में न आए। एक बार फिर से राज्य आंदोलन की तरह इसकी भी लड़ाई लड़ने को हम तैयार हैं।

अगर सरकार की नीयत साफ होती तो न्यायालय में स्वीकृत न्यायाधीशों के पदों पर नियुक्ति करते, जिससे वादकारियों को समय पर न्याय मिल जाता। आरोप लगाया कि सरकार की सोच पहाड़ विरोधी है। डीके जोशी ने कहा कि राज्य सरकार अस्थायी राजधानी को पूर्ण रूप से गैरसैंण में स्थापित करे। यह जनता के पैसों का दुरुपयोग है। अन्य अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार इसके विरोध में रखे। हाईकोर्ट को शिफ्ट नहीं करने को लेकर राष्ट्रपति एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश को भी ज्ञापन भेजा गया।

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