ऑनलाइन पढ़ाई में होनहार बच्चे भी बन रहे लापरवाह

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शाहजहांपुर, कुमार सौरभ। ऑनलाइन पढ़ाई से होनहार बच्चे भी लापरवाह हो रहे है। लाॅकडाउन में चार महीनों से बच्चे घर पर हैं। इस दौरान बच्चें पढ़ाई-लिखाई में विशेष रुची नहीं ले रहे हैं। वह मौका मिलते ही मोबाइल पर गेम खेलने लगते है। 10 साल का एक बच्चा कक्षा 6 में पढ़ता है। उसके माता-पिता …

शाहजहांपुर, कुमार सौरभ। ऑनलाइन पढ़ाई से होनहार बच्चे भी लापरवाह हो रहे है। लाॅकडाउन में चार महीनों से बच्चे घर पर हैं। इस दौरान बच्चें पढ़ाई-लिखाई में विशेष रुची नहीं ले रहे हैं। वह मौका मिलते ही मोबाइल पर गेम खेलने लगते है।

10 साल का एक बच्चा कक्षा 6 में पढ़ता है। उसके माता-पिता की यह शिकायत है कि पहले तो वह पढ़ने और खेलकूद में बहुत अच्छा था लेकिन इन दिनों वह पढ़ाई और खेलकूद से ज्यादा मोबाइल और कंप्यूटर में अपना समय बिता रहा है। ऑनलाइन क्लास के दौरान जितनी देर मम्मी य पापा सामने होते हैं पढ़ाई करता है। लेकिन उनके हटते ही वह कंप्यूटर पर गेम खेलने लगता है। उसके दिमाग में यह बैठ गया है कि अब तो टीचर को फेस नहीं करना है।

उसके अभिभावक पढ़ी हुई चीजों को पूछते हैं तो वह उसका सही उत्तर नहीं बता पा रहा है। यह हालत आज कल कई घरों में है। लाॅकडाउन से पहले बच्चे स्कूल में फेस-टू-फेस पढ़ाई करते थे तो वह अपने शिक्षकों के डर और दूसरे छात्रों के प्रतिस्पर्धा की वजह से मन लगाते थे। पिछले चार महीनों में ऑनलाइन क्लासेज ने उनकी आदत बिगाड़ दी है। पढ़ाई के दौरान टीचर सभी बच्चों के मोबाइल और लैपटाॅप का कैमरा और स्पीकर बंद करावा देती हैं।

यह आ रही है दिक्कत
रेयान इंटरनेश्नल स्कूल में ऑनलाइन क्लास शुरू हो गई है। वहां के शिक्षकों ने बताया कि बहुत से बच्चे कैमरा और स्पीकर बंद कर देते हैं। क्लास के दौरान दूसरी विंडों खोल कर गेम या अपनी पसंद का वीडियो देखने लगते है। कभी कभी बच्चे नेटवर्क की प्रॉब्लम बताकर विंडों बंद कर देते हैं। उनके अभिभावक दूर से देखते है तो उनकों लगता है कि बच्चा पढ़ रहा है। इसलिए ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों के माता-पिता को ध्यान देना चाहिए। बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए 75 फीसदी हाजिरी जरूरी कर दी है। इसमें ऑनलाइइन क्लास की हाजिरी भी जोड़ी जाएगी।

कोरोना महामारी में स्कूलों में ऑनलानइ पढ़ाई हो रही है। जो बच्चों के लिए हितकर है। यह अलग बात है कि क्लासरूम का बच्चों पर अलग प्रभाव पड़ता है। बच्चों को क्लास में पढ़ाई का अच्छा माहौल मिलता है। इस समय अभिभावाकों को चाहिए कि वह बच्चों पर ध्यान दें और स्वय पढ़ाएं। यदि संभव हो तो बच्चों की ग्रुप में पढ़ाई कराएं। ज्यादा देर बच्चों के हाथों में मोबाइल न दें। -अशिमा श्रीवास्तव, मनोवैज्ञानिक

क्लासरूम में बच्चा पढ़ता है तो शिक्षक उस पर ध्यान देता है। क्लास में बच्चा क्या कर रहा है। उसकी राइटिंग कैसी है वह शब्द ठीक लिख रहा है या नहीं। ऑनलाइन क्लास में शिक्षक बच्चे पर इस तरह का ध्यान नहीं दे सकते। अभिभावक का रोल बहुत ज्यादा हो गया है। बच्चों पर उनको ध्यान देना चाहिए। क्लास वर्क, होम वर्क कराने के साथ ही उनको रिवीजन भी कराएं। -वर्षा अग्रवाल, प्रधानाचार्य रेयान इंटरनेश्नल स्कूल

भारतीय शिक्षा व्यवस्था अभी ऑनलाइन शिक्षा के अनुरूप नहीं है। यह सिर्फ स्कूलों के व्यवसायिक पक्ष को पूरा करती है। प्रधानमंत्री के आहवान पर दिए गये चंदे की भरपाई स्कूल इस माध्यम से पूरी कर रहे हैं। बेहतर विकल्प है कि यह वर्ष जीरो सेशन घोषित कर छात्रों को सिर्फ स्वास्थ्य जागरूकता के विषय पर ऑनलाइन पढ़ाया जाना चाहिए। मोबाइल बच्चों के लिए हानिकारक है। -अमित त्यागी, अभिभावक

ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प विद्यार्थियों के लिये बिल्कुल उचित नहीं है, शिक्षा केवल पुस्तकों की पढ़ाई नही अपितु संस्कार और व्यवहारिकता भी है। जो बच्चे केवल शिक्षक एवं विद्यार्थी सहपाठियों के सानिध्य में ही सीख सकते हैं, फिर इंटरनेट केवल ज्ञान का ही नहीं तमाम अज्ञानता और फूहड़ता से भी भरा हुआ है। कहीं बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के बहाने जाने अनजाने गलत दिशा में न जाने लगें। – प्रज्ञा पाठक, अभिभावक

क्या करें अभिभावक

  • सिर्फ पढ़ाई के दौरान कंप्यूटर या मोबाइल बच्चे के हाथ में दीजिए।
  • जितनी पढ़ाई बच्चे ने की है उसका रिवीजन कराइए।
  • एक टारगेट दीजिए की आज तुमको इतना काम खत्म करना है।
  • एक दिन में जितना वह पढ़े या याद करे उसको जरूर सुनें।
  • मोबाइल पर शिक्षापरक जानकारी देखने को प्रेरित करें।
  • स्कूल से मिलने वाले होम वर्क-क्लास वर्क को कराएं।

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