जानिए कब है साल 2022 की अंतिम मासिक शिवरात्रि, महत्व, शुभ मुहर्त और पूजा विधि
Masik Shivratri 2022 : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि व्रत (Masik Shivratri) किया जाता है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का विधान है। मास शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जप किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान भी निकलता है।
कब है मासिक शिवरात्रि 2022
त्रयोदशी तिथि रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जायेगी। जब कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि रात के समय होती है, तो उस दिन मास शिवरात्रि व्रत किया जाता है। इसलिए रात के समय चतुर्दशी होने के कारण इस बार साल 2022 की आखिरी मासिक शिवरात्रि 21 दिसंबर 2022, बुधवार को मनाई जाएगी। खास बात यह है कि बुधवार का दिन गणश जी को समर्पित है, ऐसे में शिव-पार्वती के अलावा इस दिन गणपति की पूजा करना भी फलदायी साबित होगा।
मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 21 दिसंबर 2022, रात 10:16 बजे से शुरू
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की समाप्ति: 22 दिसंबर 2022, रात 07:13 बजे पर
मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत बेहद ही शुभ शुभ माना जाता है मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं साथ ही उसे मोक्ष, मुक्ति की प्राप्ति होती है साथ ही कहा जाता है कि इस दिन शिव मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का पूरे दिन जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत बेहद ही शुभ शुभ माना जाता है मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं साथ ही उसे मोक्ष, मुक्ति की प्राप्ति होती है साथ ही कहा जाता है कि इस दिन शिव मंत्र ॐ नमः शिवाय का पूरे दिन जाप करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। हो सके तो इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनें, इस रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद पूजा स्थल पर शिवजी, माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय सहित नंदी की स्थापना करें। फिर सभी को पंचामृत से स्नान कराएं। बेलपत्र, फल, फूल, धूप और दीप, नैवेद्व और इत्र भगवान को चढ़ाएं। इसके बाद शिव पुराण, शिव चालीसा, शिवाष्टक, शिव मंत्र और शिव आरती करें।
ये भी पढ़ें : Saphala Ekadashi 2022: साल की आखिरी एकादशी 19 दिसंबर को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्यता
