Afghanistan: महिला कार्यकर्ताओं पर तालिबानी प्रतिबंध से अफगानों के लिए महत्वपूर्ण सहायता हुई प्रभावित

Amrit Vichar Network
Published By Priya
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काबुल। पिछले साल जून में आए एक बड़े भूकंप के शिकार लोगों तक पहुंचने के लिए महिला डॉक्टरों और नर्सों की एक टीम ने पूर्वी अफगानिस्तान में पहाड़ों, सूखी नदी के किनारों और कच्ची सड़कों पर छह घंटे की यात्रा की। भूकंप में 1,000 से अधिक लोगों की जान गई थी। भूकंप आने के एक दिन बाद जब वे वहां पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि पुरुषों का इलाज किया गया था, लेकिन महिलाओं का नहीं। 

अफगानिस्तान के बेहद रूढ़िवादी समाज में, महिलाएं अपने तम्बुओं के अंदर ही रहती थीं, चिकित्सा सहायता और अन्य सहायता प्राप्त करने में असमर्थ थीं क्योंकि वहां कोई महिला सहायता कर्मी नहीं थी। राहत एजेंसी ‘इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी’ से जुड़ीं समीरा सैयद-रहमान ने कहा, “महिलाओं के शरीर पर अब भी खून लगा हुआ था।” महिला मेडिकल टीम के आने के बारे में बताने के लिए स्थानीय बुजुर्गों से उनके मिलने के बाद ही महिलाएं इलाज कराने के लिए आईं। समीरा ने कहा, “केवल आपात हालात में ही यह स्थिति नहीं होती।

 देश के कई हिस्सों में महिलाएं सहायता लेने के लिए बाहर नहीं जाती हैं।” समीरा ने कहा, यह एक उदाहरण है कि अफगानिस्तान में मानवीय कार्यों के लिए महिला कार्यकर्ता कितनी महत्वपूर्ण हैं - और यह उस प्रभाव को दर्शाता है जो पिछले महीने तालिबान द्वारा गैर-सरकारी संगठनों में काम करने से अफगान महिलाओं को प्रतिबंधित करने के बाद महसूस किया जाएगा। तालिबान ने 24 दिसंबर को प्रतिबंध की घोषणा की थी। इस प्रतिबंध ने संगठनों द्वारा चलाए जा रहे कई सहायता कार्यों को व्यापक रूप से बंद करने के लिए मजबूर किया।

 संगठनों ने कहा कि वे अपनी महिला कर्मचारियों के बिना काम नहीं कर सकते और न ही करेंगे। सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि सेवाएं बाधित होने से हजारों लोग पहले से ही आहत हैं और अगर प्रतिबंध जारी रहता है तो दशकों से युद्ध, बिगड़ती जीवन स्थितियों और आर्थिक तंगी से पीड़ित आबादी के लिए गंभीर और घातक परिणाम व्यापक रूप से बढ़ेंगे। अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से सहायता एजेंसियां और एनजीओ अफगानिस्तान को जीवित रखे हुए हैं।

 कब्जे से अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण में रुकावट, मुद्रा भंडार में लेनदेन पर रोक और वैश्विक बैंकिंग से अलग-थलग किए जाने के चलते पहले से ही नाजुक अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है। गैर-सरकारी संगठनों ने दखल दिया है और भोजन के प्रावधान से लेकर स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं तक सब कुछ प्रदान कर रहे हैं। हालिया प्रतिबंध के बाद हालांकि 11 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों ने कुछ छोटे समूहों के साथ अपने कार्यों को पूरी तरह से निलंबित कर दिया। 

उनका कहना है कि वे अपनी महिला श्रमिकों के बिना काम नहीं कर सकते। कई अन्य संगठनों ने भी नाटकीय रूप से अपना काम कम कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन के अनुसार, 151 स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के प्रतिबंध के बाद के सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 14 प्रतिशत अब भी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। प्रतिबंध के बावजूद, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने दिसंबर और जनवरी के पहले सप्ताह में 1.3 करोड़ लोगों को अनाज या भोजन के लिए नकद सहायता दी। यह आंकड़ा अफगानिस्तान की लगभग चार करोड़ की आबादी के एक चौथाई से अधिक है। 

प्रतिबंध किस हद तक कार्यान्वित और प्रभावी है यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन राहत कार्य में लगे संगठनों का मानना है कि इससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने अपने सभी कार्यों को निलंबित कर दिया है। उसका अनुमान है कि 24 दिसंबर और नौ जनवरी के बीच लगभग 165,000 लोग उसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से चूक गए। समीरा कहती हैं कि कुछ महिलाओं के पास तो स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच का सिर्फ यही एक जरिया था।

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