Joshimath: जोशीमठ शहर का पूर्ण रूप से न हो विस्थापन, सर्वे कर लौटी टीमों ने दिए सुझाव

Amrit Vichar Network
Published By Shobhit Singh
On

जोशीमठ, अमृत विचार। जोशीमठ मे हो रहा लगातार भूधंसाव पूरे देश के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड़ पर है। प्रभावितों के लिए हर संभव मदद के प्रयास किए जा रहे हैं। राहत पैकेज भी सरकार की ओर जारी कर दिया गया है। उधर, जोशीमठ का पूर्ण रूप से विस्थापन उचित नहीं है बल्कि सुरक्षित और कम खतरे वाले स्थानों का ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए। यह मानना है कि जोशीमठ का दौरा कर लौटी टीम का। हालांकि टीम अभी किसी भी नतीजे में पहुंचने से पूर्व जोशीमठ का दोबारा सर्वेक्षण करेगी।

Read Also: Joshimath Crisis: जोशीमठ के अलावा 7 और इलाके खतरे की जद में, क्या आपका इलाका भी है शामिल

तीन संस्थानों की टीम के सदस्य एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के भूगोल विभाग के प्रो. मोहन सिंह पंवार, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के उप महानिदेशक डॉ. सैंथियल और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. तेजवीर राणा व प्रो. सीवी रमन जोशीमठ शहर में भूधंसाव का वैज्ञानिक और सामाजिक आधार तलाश करने गए थे।


प्रो. पंवार ने बताया कि सर्वेक्षण की दृष्टि से जोशीमठ शहर को पांच जोन में विभाजित किया गया है। इसमें उच्च प्रभावित, मध्यम प्रभावित, निम्न प्रभावित, सुरक्षित और वाह्य क्षेत्र शामिल हैं। इसी के मुताबिक टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है। सरकार को यह सुझाव दिए जाएंगे कि जो सुरक्षित, निम्न प्रभावित व मध्यम प्रभावित क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि यह भी देखा गया है कि निर्माण कार्य के लिए जो नियम बनाए गए हैं उनका पालन नहीं किया गया है। भविष्य में इसका पालन करवाने का सुझाव दिया रहा है। 

Read Also: हरिद्वार: हाथी के हमले में मानसिक रूप से कमजोर महिला की मौत

भवनों के सीवर और पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। यह नगर पालिका के दायित्व थे जो पूरे नहीं किए गए। अनुमान के मुताबिक यहां प्रत्येक घर से लगभग 200 लीटर पानी निकलता है। यदि लगभग एक हजार घरों से प्रत्येक दिन इतना पानी निकलेगा तो भू-धंसाव की समस्या सामने आएगी। इसके अलावा पहाड़ में किसी भी सुरंग या सड़क निर्माण से पूर्व गंभीर अध्ययन होना चाहिए। इसमें स्थानीय लोगों और स्थानीय संस्थानों के अनुभव और राय जरूरी ली चाहिए। 

संबंधित समाचार