बरेली: बीडीए अवैध कालोनियों को वैध करने के बाद नगर निगम को सौंपेगा

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बरेली,अमृत विचार। शहर की जिन अवैध कालोनियों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक रही थी, वह शमन शुल्क योजना के तहत वैध होने के बाद नगर निगम को सौंपी जाएंगी। इसमें शहर की 190 से अधिक कालोनियां है। सबसे बड़ा पेंच यह फंसता था कि अवैध कालोनी होने के कारण नगर निगम को हैंडओवर करने में …

बरेली,अमृत विचार। शहर की जिन अवैध कालोनियों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक रही थी, वह शमन शुल्क योजना के तहत वैध होने के बाद नगर निगम को सौंपी जाएंगी। इसमें शहर की 190 से अधिक कालोनियां है। सबसे बड़ा पेंच यह फंसता था कि अवैध कालोनी होने के कारण नगर निगम को हैंडओवर करने में दिक्कतें आ रही थीं। लेकिन नियमानुसार वैध हो जाने पर नगर निगम के बजट से इन जगहों पर कार्य कराने में अफसरों को परेशानी नहीं होगी। इसको लेकर सवाल भी खड़ा होते थे कि नियमानुसार निगम के बजट से कार्य नहीं हो सकते हैं।

शमन योजना 2020 को लागू के तहत अवैध निर्माण को न्यूनतम शमन शुल्क देकर वैध होने से बरेली विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद की अनधिकृत निर्माण को तोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि नगर निगम का हिस्सा होने से विकास की रफ्तार भी तेज होगी।
शहर की 190 अवैध कॉलोनियों में निवास करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लागू की गई शमन योजना 2020 के तहत पहले की तुलना में कम आर्थिक बोझ उठाकर अवैध निर्माण को शमन किया जा रहा है।

इसमें बीडीए ने पवन विहार, खुशबू एंक्लेव, फाईक एंक्लेव, संसार एंक्लेव, पशुपति विहार, आशुतोष सिटी, सैनिक कॉलोनी, मुंशीनगर, बन्नूवाल नगर, संजयनगर, चकमहमूद, एजाजनगर, कुर्मांचल नगर विस्तार, आनंद विहार, सनराइज एंक्लेव समेत अन्य अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया गया है। इनके नियमितीकरण की फाइल कई बार चली, लेकिन कोई हल नहीं निकला।

कई बार भारी भरकम शमन शुल्क की वजह से लोगों के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाती थी। इस योजना के तहत अवैध निर्माण को वैध कराने के लिए भूमि मूल्य का 100 फीसद शमन शुल्क देना होता है। अब आधा ही देना होगा। व्यावसायिक व बहुमंजिले निर्माण में 200 के स्थान पर अब 100 फीसद ही शुल्क देकर वैध होंगे। 300 वर्गमीटर तक के एकल आवासीय भवनों के मामले में शमन शुल्क, वर्तमान सर्किल रेट का 25 फीसद तक ही है।

“शमन शुल्क के दायरे में आने वाले निर्माण को वैध करने के लिए आवेदन किया जा रहा। इसका अधिक से अधिक लोग फायदा उठाए, इसका प्रयास किया जा रहा है। वैध होने से लोगों को बड़ राहत मिलेगी।” -आरके जायसवाल, अधीक्षण अभियंता, बीडीए

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