लखनऊ : नाटक 'जवानी की मशीन' ने खूब हंसाया

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Published By Virendra Pandey
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अमृत विचार, लखनऊ। नाट्य संस्था मंचकृति द्वारा आयोजित 30 दिवसीय हास्य नाट्य समारोह की नवीं संध्या पर शनिवार को नाटक 'मशीन जवानी की' का मंचन किया गया। संतोष नौटियाल द्वारा लिखित और संगम बहुगुणा द्वारा निर्देशित इस नाटक का मंचन संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे सभागार में किया गया।

इस नाटक में कल्लन कबाड़ी, यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर से आकार छोटा करने वाली एक मशीन खरीद लाया। इस मशीन की कीमत लाखों रुपये थी मगर क्योंकि चल नहीं रही थी इसलिए कबाड़ के भाव में मिल गई। कल्लन कबाड़ी ने भी मशीन में काफी ठोकापीटी की लेकिन मशीन चली नहीं। कल्लन की पत्नी हुस्ना ने एक दिन बिल्लियों के डर से मशीन में अंडे छुपा दिए। दूसरे दिन वह अंडे निकालने मशीन में गई तो मशीन अपने आप चल दी। हुस्ना मशीन से बाहर निकली तो 20 साल की बन चुकी थी।

हुस्ना के 20 साल की बन जाने से कल्लन कबाड़ी तो परेशान हुआ ही उसकी बेटी कुलसुम का प्रेमी हुस्ना का दीवाना बन गया। कुलसुम का प्रेमी मशीन के बारे में एक सेठ को खबर कर देता है। सेठ मशीन के लिए कबाड़ी को दो लाख रुपये देने को तैयार हो जाता है। कबाड़ी दो लाख में भी मशीन बेचने को तैयार नहीं होता।

कुलसुम के प्रेमी के पिता को अपने बेटे की हरकतों के बारे में पता चलता है तो वह अपने बेटे को मारने के लिए दौड़ता है, बेटा दौड़ता हुआ मशीन में घुस जाता है और वह भी छोटा हो जाता है। बेटे के पीछे-पीछे उसका पिता भी घुस जाता है और वह भी छोटा हो जाता है। अब प्रेमी का पिता भी हुस्ना का दीवाना हो जाता है। इन हालात में हंसी के जो फव्वारे उठते हैं वह हर किसी को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर देते हैं।

नाटक में प्रियांशी पाल, सुब्रत राय, ममता प्रवीन, शुभम गौतम, शरद राज, भावना द्विवेदी, नवल किशोर और प्रशांत वर्मा ने उल्लेखनीय भूमिकाएं अदा कीं।

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