अमेठी : गुरु गोरखनाथ जन्म स्थली का मुख्य सचिव ने किया निरीक्षण 

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Published By Virendra Pandey
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जल्द ही सौंदर्यीकरण कराये जाने की बढ़ी आस

अमृत विचार, अमेठी। अमेठी में एक दिवसीय दौरे पर आए यूपी सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जायस कस्बे में खंडहर में तब्दील गुरु गोरखनाथ की जन्म स्थली का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान डीएम सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले उन्होंने मलिक मोहम्मद जायसी शोध संस्थान का निरीक्षण कर हकीकत जानी। गुरु गोरक्षनाथ की तपोस्थली के दिन बहुरने वाले हैं। यह स्थली अमेठी के जायस कस्बे में पड़ती है।

इसका कायाकल्प करने के लिए सरकार ने मास्टर प्लान पहले ही तैयार कर लिया है। इसे सात भागों में बांटकर काम किया जाना है। सरकार गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली एवं उनके अनन्य भक्त मलिक मोहम्मद जायसी की जन्मस्थली का कायाकल्प करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसको आधुनिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए सरकार ने मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इसी को ध्यान में रखकर सरकार जायस क्षेत्र का विकास करने जा रही है।

यूपी सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र रविवार को अपने एक दिवसीय जिले के भ्रमण के दौरान सुबह करीब पौने 10 बजे जायस कस्बे में खंडहर में तब्दील गुरु गोरखनाथ जन्म स्थली जिले के आला अधिकारियों के साथ पहुंचे। स्थलीय निरीक्षण कर हर एक बिंदु पर डीएम राकेश कुमार मिश्र से चर्चा की। इस दौरान सीडीओ सान्या छाबड़ा, एसपी डॉ इलामारन जी, एसडीएम फाल्गुनी सिंह सहित जिले स्तर के सभी अधिकारी मौजूद रहे।

इससे पहले मुख्य सचिव ने मलिक मोहम्मद शोध संस्थान का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान आला अधिकारियों में हड़कंप मचा रहा। मुख्य सचिव के निरीक्षण से अब गुरु गोरखनाथ की जन्म स्थली का जीर्णोद्धार होने का रास्ता साफ होने के कयास लगाए जा रहे है। अवध की बोली अवधी को अमेठी की सीमाओं से निकालकर पूरे विश्व में मान दिलाने वाले मलिक मुहम्मद जायसी की याद में नब्बे की दशक में उनके गृह नगर जायस में एक शोध संस्थान की स्थापना की गई थी। करोड़ो की लागत से बने इस संस्थान के पीछे मंशा अवधी व जायसी से जुड़े पहलुओं को आमजन के साथ ही बाहर से आने वाले लोगों को परिचित कराने की थी। लेकिन कालांतर में यह संस्थान उपेक्षा का शिकार हो गया।

एक तरफ जहां गुरु गोरक्षनाथ जन्म स्थली खंडहर में तब्दील हो गई है वहीं शोध संस्थान की हालत काफी खराब हो चुकी है। गुरु गोरखनाथ की जन्म स्थली के साथ अब जायसी शोध संस्थान के दिन बहुरने वाले हैं। शासन को भेजी गई सर्वे रिपोर्ट व अभिलेखों का रखरखाव कर रहे घनश्याम माहेश्वरी के अनुसार इस क्षेत्र को सात जोन में बांटा गया है, जिसमें प्रवेश, पर्यटक सुविधा केंद्र और रिटेल, बाबा बैठक, तपोवन, फूड एंड बेवरेज (एफ एंड बी), मनोरंजन और स्मारक शामिल है। प्रवेश मार्ग के साथ गेट परिसर और पार्किंग एरिया का निर्माण कराया जाएगा। कार और बसों की पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। साथ ही एक हरे-भरे गलियारे का निर्माण किया जाएगा। पर्यटकों की सहायता के लिए सूचना डेस्क और साइट के विभिन्न हिस्सों को घूमने के लिए टिकट काउंटर की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही फैशिलेशन सेंटर, सार्वजनिक शौचालय, कारीगरों और रिटेल की दुकानों के लिए भी जगह की व्यवस्था रहेगी। यह जोन विशेष तौर से गुरु गोरक्षनाथ पर केंद्रित रहेगा। इसके अंतर्गत पड़ने वाले प्राचीन कुओं और जीर्ण-शीर्ण हो चुकी बाबा बैठक का सरकार जीर्णोद्धार कराएगी।

जानकारों के मुताबिक यह वह क्षेत्र है, जहां गुरु गोरखनाथ हवन और यज्ञ किया करते थे, इसे सहेजा जाएगा। साथ ही अन्य क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा और लाइट शो की व्यवस्था भी रहेगी। इस जोन में प्राचीन रसोई है जिसका जीर्णोद्धार करने के साथ ही आने वाले पर्यटकों के लिए एक फूड कोर्ट बनाया जाएगा। मुख्य तालाब के किनारे-किनारे भ्रमण के लिए मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। इसके साथ ही आने वाले पर्यटक नौका विहार आनंद ले सकें, उसकी व्यवस्था भी रहेगी। मुख्य तालाब के अंदर गुरु गोरक्षनाथ की तपोस्थली को समर्पित एक स्मारक बनाया जाएगा। इसके अंदर तालाब को अमृत सरोवर के रूप विकसित किया जाएगा। सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को अपने में समेटा जायस गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली है। यह प्रसिद्ध कवि एवं पद्मावत के रचयिता मलिक मोहम्मद जायसी का भी शहर है। यह कस्बा वैदिक काल से संपन्न रहा। लोग इसे उद्यालक ऋषि का पुण्य स्थान बताते हैं, जो उद्यान नगर नाम से विख्यात था। स्वयं जायसी ने भी अपनी रचनाओं में इसका उल्लेख किया है। मलिक मोहम्मद जायसी के जन्म संबंधी अभिलेखों के जानकार घनश्याम माहेश्वरी ने बताया कि इसका खाका तैयार कर लिया गया है। इसका बजट तकबरीन 39 करोड़ रुपये का है। उन्होंने बताया कि गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली का कायाकल्प किया जाना है। यहां पर कई आकर्षक घाट बनाए जाएंगे। इसके अलावा बैठने की आकर्षक व्यवस्था होगी।

डीएम के आकस्मिक निरीक्षण से जीर्णोद्धार की चर्चा हुई थी तेज

बीते वर्ष 29 जून को जिलाधिकारी राजेश कुमार मिश्र ने तिलोई एसडीएम फाल्गुनी सिंह व राजस्व टीम के साथ भारी लव लश्कर लेकर गुरु गोरखनाथ के जन्म स्थल पहुंचे थे। निरीक्षण के दौरान गुरु गोरखनाथ जन्म स्थली संगत, समाधि स्थल, बारादरी और सगरा का मुआयना किया था। सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव के निर्देश पर ही डीएम ने निरीक्षण कर रिपोर्ट भेजी थी। डीएम के इस औचक निरीक्षण से ही लोगों को जायसी शोध संस्थान के बहुरने के दिन बड़ी उम्मीदों से के साथ जग गई थी।

काशीराम आवास आवंटन न होने का कारण पूंछा

रविवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर आए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने जायस कस्बे में खंडहर में तब्दील गुरु गोरक्षनाथ जन्म स्थली का निरीक्षण करने के दौरान टिल्ले पर से काशीराम आवास की बिल्डिंग देखी तो उसके बारे में डीएम राकेश कुमार मिश्रा से पूंछा। डीएम के निर्देश पर एसडीएम फाल्गुनी सिंह ने बताया कि कालोनियां बनकर तैयार हो गई है। लेकिन लाभार्थियों को आवंटन अभी नहीं हुआ है। आवंटन न होने का कारण जब मुख्य सचिव ने पूंछा तो डूडा पर डाल दिया गया। इससे पहले तत्कालीन डीएम शकुंतला गौतम की मौजूदगी में अमेठी सांसद स्मृति ईरानी ने नगर पालिका जायस में बैठक कर काशीराम आवासों के आवंटन को लेकर पात्रों की सूची तैयार कर लाभान्वित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सांसद के आदेश के चार वर्ष बाद भी अधिकारियों की हठधर्मिता के आगे सारे आदेश धरासाई हो गए।

अब काशीराम आवासों में अवैध रुप से लोग काबिज हो गए हैं। बता दें कि बसपा सरकार में कस्बे वासियों को आवासीय योजना की सौगात देते हुए करोड़ो की लागत से मुंशीगंज और सदभावना पार्क में 268 आवासों का निर्माण कार्य 2008 में कराया गया था। लेकिन यहां के बाशिन्दों का दुर्भाग्य रहा है कि सरकारें आई और गई लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी पात्र लाभार्थियों को आवासों का आवंटन नहीं हो सका।

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