आईसीडीएस ऑफिसर्स वेल्फेयर ऐसोसिएशन ने आंदोलन की घोषणा की
चंडीगढ़। हरियाणा के महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारियों के स्वीकृत रिक्त पड़े पद न भरकर पहले से कार्य के बोझ से दबी परियोजना अधिकारियों को दूरदराज के खंडों का अतिरिक्त कार्यभार देने के खिलाफ आईसीडीएस ऑफिसर्स वेल्फेयर ऐसोेसिएशन ने आंदोलन करने के निर्णय की घोषणा की।
एसोसिएशन राज्य प्रधान सविता मलिक, महासचिव मीनाक्षी चौधरी, उपाध्यक्ष आरू वशिष्ठ एवं कोषाध्यक्ष प्रियंका मलिक की तरफ से आज यहां संयुक्त रूप से जारी बयान के अनुसार परियोजना अधिकारियों ने नये स्टेशन पर ज्वाइन न करने का फैसला किया है।
इसके अलावा पहली मार्च को राज्य की सभी महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों ने विभाग की निदेशक से मास डेपुटेशन के तौर पर मिलने का फैसला लिया है, जिसका पत्र आज निदेशक को भेज दिया गया है। निदेशक से मिलने के बाद अगला तय किया जाएगा।
उक्त फैसला एसोसिएशन की कल देर शाम ऑनलाइन बैठक में लिया गया। एसोसिएशन के अनुसार 17 फरवरी को एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर विभाग की निदेशक मोनिका मलिक से मिला था। बैठक में उनकी लगभग सभी मांगों पर सहमति बनी थी लेकिन 23 फरवरी को निदेशालय की तरफ से परियोजना अधिकारियों को वर्तमान स्टेशन के अलावा दूसरे जिलों के अतिरिक्त चार्ज देने के एकतरफा आदेश जारी कर दिए गये। उन्होंने बताया कि आदेशों में हिसार की डब्लूसीडीपीओ को डबवाली तक का चार्ज दें दिया गया है।
जबकि हिसार में पहले ही अधिकारियों की कमी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में डब्लूसीडीपीओ के 148 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 80 पद रिक्त हैं तथा केवल 68 पद भरे हुए हैं। इनमें से करीब आधा दर्जन अधिकारी मार्च व अप्रैल में सेवानिवृत्त हो रही हैं तथा कुछ लंबी छुट्टी पर हैं।
उन्होंने बताया कि विभाग में सुपरवाइजरों की भी भारी कमी है। सुपरवाइजर, सहायक और लिपिकों के पद रिक्त होने के कारण काम लेने में भारी कठिनाई आ रही है। कार्यालयों में केवल एक-एक ही कंप्यूटर है, जो कि काफी पुराने हो चुके हैं।
कार्यालयों का किराया भी दो वर्ष से लंबित है। मकान मालिक उन्हें खाली करवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2 से लेकर 10 खंडों के अतिरिक्त चार्ज हैं, लेकिन गाड़ी केवल एक खंड में ही उपलब्ध है। किराए की गाड़ियों को केवल 20800 प्रतिमाह दिया जा रहा है जबकि पेट्रोल डीजल के भाव काफी बढ़ चुके हैं। कई खंडों में इन ड्राइवरों का भुगतान भी लंबित है।
उन्होंने बताया कि संख्या कम होने के कारण अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर भी अर्जित अवकाश नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग में न सुविधाएं और न स्टाफ है लेकिन विभाग की तरफ से रिपोर्ट कुछ ही घंटों में मांगी जाती हैं। शनिवार व रविवार को भी रिपोर्ट का सिलसिला जारी रहता है।
रिपोर्ट समय पर न दे पाने पर चार्जशीट की धमकियां दी जाती हैं। विभाग की निदेशक से कई बार एसोसिएशन की मुलाकात हो चुकी है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि सुपरवाइजरों की न तो पदोन्नति की जा रही हैं तथा न ही नई भर्तियां की जा रही हैं, यही कारण है कि एसोसिएशन ने आंदोलन का ऐलान किया है।
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