बरेली: होली में रंगा बचपन, एक दूसरे को जमकर लगाया अबीर गुलाल
बरेली, अमृत विचार। शुक्रवार को रंगभरी एकादशी पर कई मोहल्लों में स्कूली बच्चों ने होली की धूम मचाई, जिसके चलते सुबह से ही बच्चों ने पिचकारियों से रंग की बौछार शुरू कर दी। बच्चों की टोली देखकर राहगीर रंग से बचने के लिए नए रास्ते तलाशते रहे।

शुक्रवार को रंगभरी एकादशी के मौके पर कालीबाड़ी, सिकलापुर, गंगापुर, नेकपुर बिहारीपुर सहित कई क्षेत्रों में बच्चों ने सुबह से ही टोली बनाकर राहगीरों पर पिचकारियों से रंगों की बौछार करनी शुरू कर दी। स्कूल में छुट्टी के बाद एक दूसरे को जमकर रंग लगाया। बच्चे अपनी पानी की बोतलों में रंग भरकर लाए थे और अपने दोस्तों को जमकर रंग लगाया।
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कालीबाड़ी से निकले तो सोच समझकर
यदि आपको कालीबाड़ी के रास्ते से जाना है, तो किसी अन्य मार्ग से निकलें, नही हुरियारों की टीम आपको रंग लगाये वगैर नही जाने देगी, यदि आप हुरियारों की टोली से रंग डालने को मना करेगें, तो स्थानीय लोग आपको रंगो से भूत बनाकर ही जाने देंगे।
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आमलकी एकादशी पूजा
एक ऐसा व्रत जिस पर आँवले के वृक्ष की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। दरअसल हर एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है, जो कि महीने में दो बार आती है, लेकिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे आमलकी एकादशी कहते हैं। इस दिन जो विधि-विधान से व्रत का पालन करता है उसकी सभी मनोकामनांए पूर्ण होती है। श्रद्वालुओं ने आंवले के वृक्ष पर धागे बांधकर सात परिक्रमाए की। उसके बाद एक दूसरे के गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी।
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