हल्द्वानी: होली में धड़ल्ले से बिकता है नकली और मिलावटी मावा

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Published By Shweta Kalakoti
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शहर में यूपी के बरेली और बदायूं के साथ ही टांडा, रामनगर, जसपुर से आता है मावा

30 प्रतिशत से कम और 35 प्रतिशत से अधिक फैट लेवल होने पर फेल हो जाता है सैंपल

हल्द्वानी, अमृत विचार। त्यौहारों में मिठाइयां और गुजिया बनाने के लिए मावे की मांग सबसे ज्यादा रहती है। जिले में सबसे अधिक मावा टांडा, रामनगर के ढेला, ढिकाला और ऊधमसिंहनगर के जसपुर से आता है। इसके अलावा प्रदेश से बाहर बरेली और बदायूं से भी मावा आता है।

कई बार मावा रोडवेज की बसों से भेजा जाता है तो बस चालक से पूछताछ करने पर यह जानकारी दी जाती है कि 100 रुपये का भुगतान करके मावा बस में रख दिया जाता है और खरीदार खुद स्टेशन पर आकर मावा लेता है।

इस कारण कई बार मिलावटयुक्त और नकली मावे को सप्लाई करने वाला व्यक्ति पकड़ में नहीं आ पाता है। पिछले कुछ सालों से बसों में मावे का ट्रांसपोर्ट कम हो गया है। अब अधिकांश मावा प्राइवेट वाहनों  में सप्लाई किया जाता है।

त्यौहारों के समय मिलावटयुक्त और घटिया क्वालिटी का मावा बाजार में धड़ल्ले से बिकता है। इस बिक्री को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग त्यौहारों के मौके पर विभिन्न प्रतिष्ठानों से मावे के सैंपल लेते हैं और इन सैंपल को जांच के लिए रुद्रपुर लैब में भेजा जाता है। अधिकांश तौर पर यह देखा जाता है कि बरेली और बदायूं से आने वाले मावे के सैंपल फेल होते हैं।


सैंपल फेल होने के पीछे के कारण

विशेषज्ञों के अनुसार सैंपल फेल होने के पीछे दो कारण हैं। पहला कारण बाहरी मिलावट जिसमें मावे में यूरिया, डिर्टजेंट, अरारोट और मैदा मिला दिया जाता है। दूसरा कारण फैट लेवल का कम या अधिक होना जिससे सैंपल टेस्टिंग में फेल हो जाता है।

फैट लेवल के कम या अधिक होने के पीछे भी दो कारण हैं एक कारण दूध से क्रीम निकालकर बचे दूध से मावा बनाया जाता है तो इसका फैट प्रतिशत घट जाता है। दूसरा फैट लेवल बढ़ाने के लिए चर्बी ( एनिमल फैट )  मिलाई जाती है जिससे फैट लेवल बहुत बढ़ जाता है। 

 
फैट लेवल को लेकर फेल होंते हैं 

खाद्य सुरक्षा अधिकारी कैलाश सिंह टम्टा ने बताया कि त्यौहारों के समय रैंडम्ली अलग अलग प्रतिष्ठानों से मावे के सैंपल लिए जाते हैं इन सैंपल्स को रुद्रपुर लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। लैब में मावे का फैट लेवल 30 प्रतिशत से कम या 35 प्रतिशत से अधिक होने पर सैंपल फेल माना जाता है। पिछले कुछ सालों की लैब रिपोर्ट की तुलना करें तो फेल होने वाले सैंपलों की संख्या में कमी आई है।


मावा बेचने वाले दुकानदारों से बातचीत

-लालडांठ में डेरी की दुकान चलाने वाले निक्की खनवाल ने बताया कि वह टांडा से मावा खरीदते हैं। होली के मौके पर लगभग 60-70 किलो मावा बिक जाता है।


-हल्दूचौड़ में दुकान चलाने वाले निकेश अंडोला ने बताया कि होली के मौके पर वह आंचल व अन्य कंपनियों का मावा खरीदते हैं। प्रतिदिन 4 किलो मावा बिक जाता है।

-दुग्ध संघ के जीएम निर्भय नारायण सिंह ने बताया कि इस होली में अभी तक 3 कुंटल मावा बिक चुका है। होली के दो दिन पहले के लिए 10 कुंटल मावे की  डिमांड आ चुकी है। 

 

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