बरेली: ग्लैंडर्स रोग की आशंका, जांच को भेजे 64 घोड़ों के सैंपल
प्रदेश के कुछ जिलों में इस तरह के मामले सामने आने पर पिछले महीने लिए गए थे सैंपल
बरेली, अमृत विचार। घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग की आशंका के चलते पशुपालन विभाग ने 64 घोड़ों के सैंपल हिसार की लैब में जांच के लिए भेजे हैं। इनमें सबसे अधिक कुआडांडा ब्लाक से 20 सैंपल लिए गए हैं। पशु पालकों को रिपोर्ट आने तक घोड़ों से दूर रहने को कहा गया है।
अपर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. नरेंद्र ने बताया कि दो साल पहले रिठौरा और भोजीपुरा के दो घोड़ों में जानलेवा ग्लैंडर फारसी की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा मंडल के चारों जिलों में पांच घोड़े ग्लैंडर से पीड़ित पाए गए थे। इन सभी को मार दिया गया था। इसके अलावा पिछले 33 सैंपल जांच को भेजे गए थे, इनमें किसी में पुष्टि नहीं हुई लेकिन प्रदेश के कुछ जनपदों में घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग बीमारी की पुष्टि के बाद पशुपालन विभाग ने बीमारी से निपटने की कोशिश शुरू कर दी है। पिछले महीने जनपद के समस्त ब्लाकों से ग्लैंडर्स की जांच के लिए 64 घोड़ों के सैंपल हिसार भेजे थे। पशुपालकों को रिपोर्ट नहीं आने तक घोड़ों से दूरी बनाए रखने को कहा गया है। बताया कि इस बीमारी को लेकर पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है। यह एक जानलेवा बीमारी है, इसका फिलहाल कोई इलाज नहीं है। इसलिए इस रोग की आशंका पर वह विभाग को तत्काल सूचित करें ताकि समय रहते समस्या का समाधान किया जा सके।
ऐसे कर सकते हैं बीमारी का पता
सीवीओ डा. मेघश्याम के मुताबिक एलाइजा और कॉम्लीमेंट फिक्सेशन (सीएफटी) टेस्ट के जरिए ग्लैंडर फारसी की बीमारी का पता किया जाता है। एक्यूट फार्म में घोड़ों में इस बीमारी से फेफड़ों में गांठ और श्वसन तंत्र की म्यूकस मैमरेन पर घाव होने लगते हैं। घोड़े की नाक से रक्तस्राव होता है। इसके बाद पीड़ित घोड़े की मौत हो जाती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इसलिए पीड़ित घोड़ों को मारने से पहले उसके मालिकों को 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। इससे पशुपालक की क्षतिपूर्ति हो जाती है। पशुपालकों से सूचना मिलने के अलावा भी हर साल ग्लैंडर्स का संदेह होने पर खून का नमूना लेकर जांच के लिए हिसार लैब में भेजा जाता है।
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