अयोध्या : 10 से 15 फीसदी लोग पीठ व कमर दर्द से हैं पीड़ित 

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Published By Virendra Pandey
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अयोध्या, अमृत विचार। झुनझुनवाला इन्सटीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज में बुधवार को फिजियोथेरेपी से समबन्धित पीआईवीडी (प्रोलैप्स इ.टरवर्टीवरल डिस्क-स्लिप डिस्क) विषय पर सेमीनार आयोजित किया गया। इस अवसर पर डी.फार्मा, एएनएम, जीएनएम, ओटीसीटी, ट्रामाकेयर, आप्टोमेटरी, फिजियोथियेरपी के छात्र-छात्राओं ने जानकारी प्राप्त की।

इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ. गिरिजेश त्रिपाठी तथा मुख्य अतिथि डॉ. संदीप दूबे व डॉ. धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि हमारी हड्डियों व कमर दर्द की आम समस्या है। स्पाइन  सोसाइटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 से 15 फीसदी लोग पीठ या कमर दर्द से पीड़ित हैं। सामान्य उपचार के अलावा आराम करने से यह दर्द खत्म भी हो जाता है। लेकिन लापरवाही बरती जाए तो 20 फीसदी मामलों में यह दर्द गभीर रूप भी ले सकता है। यह गंभीर दर्द कई बार स्लिप्ड डिस्क में बदलता है तो कभी-कभी इससे साइटिका हो सकता है। इस अवसर पर वरिष्ठ भौतिक चिकित्सक डा. अनुराग तिवारी व संस्थान के मधुकर ने भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि बैठने का तरीका पीठ के निचले हिस्से में दर्द के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है। संस्थान की फिजियोथियेरपी के छात्रों आकाश, सुधा, कल्पना, अर्श, स्वेता, अंकित, डाली, ने भी शिक्षाप्रद नाटक के माध्यम से  बचने के उपाय बताये।


तीन प्रकार का होता है सर्वाइकल वर्टिब्रा

स्पाइन को तीन भागों में बांटा जाता है। पहला गर्दन या सर्वाइकल वर्टिब्रा, दूसरा छाती (थोरेसिक वर्टिब्रा) और तीसरा लोअर बैक  (लंबर वर्टिब्रा) सामान्य लक्षण। नसों पर दबाव के कारण कमर दर्द, पैरों में दर्द या पैरों एड़ी या पैर की उंगुलियों का सुन्न होना, पैर के अंगूठे या पंजे में कमजोरी, स्पाइनल कॉर्ड के बीच में दबाव पड़ने से कई बार हिप या थाईज के आसपास सुन्न महसूस करना, समस्या बढ़ने पर यूरिन-स्टूल  पास करने में परेशानी, रीढ़ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द, चलने-फिरने, झुकने या सामान्य काम करने में भी दर्द का अनुभव। झुकने या खांसने पर शरीर में करंट सा अनुभव होना।

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