हल्द्वानी: पद्म पुरस्कारों में उत्तराखंड के लिए सूखे की स्थिति

हल्द्वानी: पद्म पुरस्कारों में उत्तराखंड के लिए सूखे की स्थिति

हल्द्वानी, अमृत विचार। पद्म पुरस्कारों में उत्तराखंड को निराशा ही हाथ लग रही है। उत्तराखंड सरकार द्वारा भारत सरकार को हर साल नाम भेजे तो जा रहे हैं, लेकिन पुरस्कार के लिए किसी भी नाम का चयन नहीं हो पा रहा है। हालांकि वर्ष 2022 में भेजे गए 10 नामों में डॉ. माधुरी बड़थ्वाल (देहरादून) का पद्म पुरस्कार के लिए चयन अपवाद माना जा सकता है, लेकिन लगातार तीन साल में भेजे गए 33 नामों का अस्वीकार होना आश्चर्य की बात है। 

 उत्तराखंड सरकार द्वारा पद्म पुरस्कार हेतु हर साल भारत सरकार को भेजे जाने वाले नामों की सूची लंबी होती जा रही है। आरटीआई कार्यकर्ता क्लब ऑफ उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी ने इस संबंध में सूचना के अधिकार के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से जानकारी मांगी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

उप सचिव/लोक सूचना अधिकारी अजीत सिंह द्वारा और डॉ. अग्रवाल की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, पद्म पुरस्कारों के लिए वर्ष 2020 में राज्य सरकार से भारत सरकार को 7 नाम प्रेषित किए गए थे, जो वर्तमान वर्ष में लगभग 3 गुना 20 हो गए, लेकिन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020, 21 एवं 2023 में भेजे गए 33 नामों को अस्वीकार कर दिया गया। 

गढ़वाल को प्रमुखता, कुमाऊं की उपेक्षा
आरटीआई में एक तथ्य यह भी सामने आया कि विगत 4 वर्षों में पद्म पुरस्कार हेतु उत्तराखंड सरकार द्वारा जो नाम प्रेषित किए गए, उनमें वर्ष 2020 में प्रेषित किए गए सातों नाम केवल गढ़वाल मंडल से थे और कुमाऊं मंडल से कोई भी नाम नहीं भेजा गया।

इसी प्रकार वर्ष 2021 में भी प्रेषित 6 नाम गढ़वाल मंडल से थे और कुमाऊं मंडल को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में प्रेषित 10 नामों में 8 गढ़वाल से, एक महाराष्ट्र से (हिमानी भट्ट शिवपुरी) और पहली बार एक नाम कुमाऊं से (डॉ. यशोधर मठपाल, भीमताल) शामिल किया गया। अब आगे दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2023 में भारत सरकार को प्रेषित की गई 20 नामों की भारी-भरकम सूची में 15 नाम गढ़वाल से और कुमाऊं मंडल से पहली बार 5 नाम शामिल किए गए। 

4 साल, 43 नाम, 42 अस्वीकार सूचना के अधिकार के जवाब में बताया गया कि चार वर्षों (2020-21-22-23) में राज्य सरकार ने भारत सरकार को 43 नाम भेजे, लेकिन इनमें से केवल एक नाम (माधुरी बड़थ्वाल) ही वर्ष 2022 में स्वीकार हुआ।

जबकि भारत सरकार द्वारा पद्म पुरस्कारों हेतु भेजे गए नामों को अस्वीकार करने के बावजूद भी उत्तराखंड सरकार ने तमाम नामों को 2,3 और यहां तक कि 4 बार पुनः भारत सरकार  को प्रेषित किया, लेकिन वे सभी नाम अस्वीकार कर दिए गए। इनमें जगत चौधरी, डॉ. सच्चिदानंद भारतीय, प्रताप पोखरियाल, डॉ. यशोधर मठपाल, महंत देवेंद्र दास के नाम 2 बार भेजे गए। वहीं, डॉ. महेश कुरियाल का 3 बार और नरेंद्र सिंह नेगी का नाम 4 बार भेजा गया, लेकिन ये सभी नाम भारत सरकार द्वारा अस्वीकार कर दिए गए।