बरेली: अवैध कॉलोनी में फूंके दो करोड़, हाल फिर भी बदहाल...इसलिए शहर बेहाल

बरेली: अवैध कॉलोनी में फूंके दो करोड़, हाल फिर भी बदहाल...इसलिए शहर बेहाल

अवैध कॉलोनी(DEMO IMAGE)

बरेली, अमृत विचार। तंगहाली से जूझ रहे नगर निगम के अफसरों ने नाजायज कामों पर सरकारी पैसा फूंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अवैध होने के बावजूद नैनीताल रोड पर शिवविहार कॉलोनी में भी करीब दो करोड़ रुपये फूंक डाले। यहां सड़क के साथ नालियों का भी निर्माण कराया गया था लेकिन फिर भी कॉलोनी का हाल बदहाल है।

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बरसात का पानी भरने से सड़क उखड़ने लगी है, निकास न होने की वजह से नालियां भी चोक पड़ी हैं। अनाधिकारिक तौर पर अफसर सरकारी पैसों की इस बर्बादी का भी ठीकरा नगर निगम बोर्ड पर फोड़ रहे हैं, हालांकि बोर्ड में इस संबंध में कोई प्रस्ताव पारित होने का रिकॉर्ड नहीं है।

शिवविहार कॉलोनी नैनीताल रोड पर केडीएम स्कूल के पास कुछ ही समय पहले बनी थी जिसका बीडीए से मानचित्र तक स्वीकृत नहीं है। कायदे में तो यह कॉलोनी बनाने वाले बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन इसके बजाय अफसरों ने बिल्डर के हिस्से का पैसा नगर निगम के खाते से लगा दिया।

करीब दो करोड़ रुपये फूंककर कॉलोनी में सड़क और नालियां बनवा दीं मगर यह ख्याल नहीं रखा कि कॉलोनी का लेवल बाहर से गुजर रही मुख्य सड़क से नीचे है लिहाजा नालियां बनाने का कोई लाभ नहीं होगा। अब स्थिति यह है कि कॉलोनी में बनी नालियों से पानी का निकास ही नहीं हो पा रहा है। इस कारण बरसात का पानी सड़क से आकर कॉलोनी में भर जाता है लिहाजा यहां हुए निर्माण कार्यों की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही है।

अनाधिकारिक तौर पर अफसरों का कहना है कि इस कॉलोनी में भी सड़क और नालियां नगर निगम बोर्ड के कहने पर बनाई गई थीं। हालांकि यह भी स्वीकार किया जा रहा है कि नगर निगम बोर्ड ने इस संबंध में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया था। सूत्रों के मुताबिक अवैध कॉलोनियों में हुए निर्माण में बोर्ड के कुछ सदस्यों का भी हित जुड़ा हुआ था। अफसरों ने भी कमीशनखोरी के चक्कर में यहां जमकर काम कराए। नतीजा यह हुआ कि जहां काम कराना नगर निगम की जिम्मेदारी में शामिल था, वहां काम नहीं हो पाए। वहां के लोग नगर निगम में पैसे न होने का बहाना सुनकर लौटते रहे।

पीलीभीत बाईपास पर सड़क ऊंची, नाले बना दिए नीचे, करोड़ों रुपये पर फिरा पानी
चूंकि सरकारी पैसा खर्च होना था इसलिए नगर निगम के अफसरों ने तमाम निर्माण कार्यों में मानकों पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। लिहाजा करोड़ों की बर्बादी हो गई। पीलीभीत बाईपास पर भी सड़क और नाले बनने के बाद भी जलभराव की समस्या हल नहीं हो सकी। यहां नाले ऊंचे और सड़क नीची बना दी गई।

दरअसल, जोगीनवादा में कई छोटे-छोटे मोहल्ले हैं जहां से निकलने वाली नालियों के पानी को नाला बनाकर पीलीभीत बाईपास तक लाने का इंतजाम किया गया लेकिन इस नाले की चौड़ाई इतनी कम रखी गई है कि गर्मी के मौसम में भी पानी नाले में आगे नहीं बढ़ पा रहा है और उसका प्रवाह रुक गया है। चौराहे से मुड़कर यह नाला तुलाशेरपुर की तरफ गया है, लेकिन रास्ते में कुछ जगह अतिक्रमण भी है।

सतीपुर चौराहे से भीम छात्रावास की ओर जाने वाली सड़क का हाल भी यही है। यहां हाटमिक्स प्लांट से एक करोड़ की सड़क बनाई गई है। लगभग दो साल पहले बनी यह सड़क कई जगह उखड़ने लगी है। इस सड़क के पास भी नाला बनाया गया है। यह नाला सड़क से ऊंचा है।

नियम के मुताबिक सड़क ऊंची और नाला नीचा होना चाहिए, साथ ही पांच मीटर चौड़ी सड़क में पांच सेमी कैंबर होना चाहिए ताकि सड़क का पानी भी नाले में जा सके लेकिन फिर भी करोड़ों के इस काम में यह मानक को ध्यान नहीं रखा गया। बरसात के दिनों में यहां कई जगहों पर पानी भरता है। नाले में कूड़ा होने से पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है। यही नहीं पहले सड़क बनी और बाद में नाला बनाया गया। इस बारे में फोन पर कई बार नगर निगम के मुख्य अभियंता से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं की।

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