केटामाइन ड्रग्स : जिंदा भी रहेगा, लेकिन मुर्दों के जैसा

प्रशासन की नाक के नीचे खुलेआम चल रहा केटेमाइन ड्रग्स और ई सिगरेट का धंधा

केटामाइन ड्रग्स : जिंदा भी रहेगा, लेकिन मुर्दों के जैसा

रामपुर, मुरादाबाद, बहेड़ी, बरेली और बंदायू से हो रही नशे के इंजेक्शन की सप्लाई

हल्द्वानी, अमृत विचार। पुलिस का ध्यान केवल स्मैक और शराब तस्करी पर टिका है, लेकिन इन दिनों शहर में धड़ल्ले से केटेमाइन ड्रग्स बेचने के साथ ई सिगरेट का धंधा फल-फूल रहा है।

सरकारी प्रतिबंध के बावजूद दुकानों पर चोरी छिपे ई-सिगरेट बेची जा रही हैं। वहीं इनमें प्रयोग होने वाले फ्लेवर्स भी औने-पौने दामों में मुहैया कराए जा रहे हैं। मजेदार बात यह है कि यह सब बिकने के साथ पहाड़ों को सप्लाई भी हो रहा है, लेकिन पुलिस या ड्रग्स कंट्रोलर विभाग का ध्यान इस पर जरा भी नहीं है।

सूत्रों की मानें तो गुरुग्राम, एनसीआर और हरियाणा से ई सिगरेट और उसके फ्लेवर यहां लाकर खपाए जा रहे हैं। जबकि केटेमाइन ड्रग्स रामपुर, मुरादाबाद, बहेड़ी, बरेली और बंदायू के तस्कर यहां लेकर बेच रहे हैं, जो काफी सस्ते दामों पर उपल्बध कराए जा रहे हैं। हालांकि मेडिकल स्टोर पर भी बिना डाक्टर के पर्चे के इसे नहीं बेच सकते, लेकिन नशे के लिए इस्तेमाल करने वाले इसे बाहर के लोगों से खरीद रहे हैं।

 

माल खरीदने बेचने के लिए होता है कोडवर्ड का इस्तेमाल

अमृत विचार ने नशे के सौदागरों की बातचीत को सुना जिससे पता चला कि माल-खरीदने बेचने के लिए फोन पर बातचीत के समय विशेष कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे दिल्ली के लिए बस नहीं है अभी..इसका मतलब होता है कि अभी माल उपलब्ध नहीं है, रोडवेज पर खड़ा हूं बस आ गई है..इसका मतलब होता है कि माल आ गया है सप्लाई कहां देनी या छोड़नी है।

सामने वाला यदि बोलता है कि ये वाली बस छोड़कर आधे घंटे बाद वाली बस में बैठना, इसका मतलब होता है कि वो आधे घंटे बाद दोबारा फोन कर के बताएगा कि किस लोकेशन पर सामान देना है। ऐसे हर बार कोड एक बार कि मुलाकात में तय कर लिए जाते हैं और उसके बाद माल डिलीवर हो जाता है। वहीं काजू (चरस), खजूर (गांजा), इलायची (स्मैक) के नाम से अलग-अलग नशे के सामान के नाम रखे गए हैं।

 
मेडिकल स्टोर खुलने और फिर बंद होने के समय होती है नशे के सामान की डिलीवरी

विशेष सूत्रों के हवाले से पता चला कि शहर के कई क्षेत्रों जैसे छड़ायल, कमुलवागांजा, हल्दूचौड़, वनभूलपुरा आदि में देर रात तक नशे के इंजेक्शनों की खरीद-फरोख्त रहती है। यहां भी गिने-चुने खास विश्वसनीय ग्राहकों के माध्यम से माल खपाया जाता है। दुकानों में छापेमारी कि जाए तो नशे के इंजेक्शन आसानी से पकड़े जाएंगे। सुबह स्टोर खुलने और फिर देर शाम स्टोर बंदी के समय महज कुछ मिनटों में माल इधर से उधर हो जाता है।

 

ई सिगरेट की मांग काफी ज्यादा

सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद ई सिगरेट की मांग और पूर्ति में कोई कमी नहीं है। पहाड़ों के दूर-दराज होटल-रिजार्टस सहित अल्मोड़ा के कसारदेवी तक चोरी छिपे माल खपाया जा रहा है। यहां तक की शहर के कॉलेजों के छात्रों में इसकी काफी मांग है। इनके कुछ मनचाहे फ्लेवर्स की वजह से यह धंधा धंधेबाजों की मोटी कमाई करा रहा है। 500 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के फ्लेवर्स की मांग रहने के साथ एक औसत दर्जे की ई सिगरेट की कीमत हजार रूपए ग्राहकों द्वारा अदा की जा रही है।

 

किस काम में आती है केटेमाइन ड्रग

केटामिन एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से एक संवेदनाहारी दवा के रूप में किया जाता है। यह पाउडर या तरल रूप में पाया जाता है और विशेष रूप से जानवरों के इलाज में पशु चिकित्सकों द्वारा उपयोग किया जाता है। यह अस्थायी बेहोशी, ट्रान्स, मन और शरीर की आराम की स्थिति पैदा करता है।

इसका उपयोग सर्जिकल प्रक्रियाओं और अन्य उपचारों के संचालन के लिए किया जाता है, जो अत्यधिक दर्द और परेशानी का कारण बन सकते हैं। हृदय, फेफड़े और अन्य महत्वपूर्ण अंग सामान्य रूप से कार्य करते रहते हैं, भले ही रोगी चेतना खो देता है। मगर युवा इसे नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

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