अयोध्या: आवाज को दबाने की साजिश, कांग्रेस पार्टी बर्दाश्त नहीं करेगी, राहुल की सदस्यता खत्म होने पर विपक्ष की एक राय
अयोध्या, अमृत विचार। गुजरात प्रान्त की जिला अदालत की ओर से मानहानि मामले में सजा सुनाये जाने के बाद शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी गई। मामले को लेकर सियासी हलके में उबाल है। कांग्रेसी आक्रोश और गुस्से में तो हैं। पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने राहुल गांधी की सदस्यता खत्म किये जाने को सड़क से सदन तक जनविरोधी नीतियों के खिलाफ विपक्ष की आवाज को दबाने की सरकार की सोची समझी साजिश करार दिया है।
वहीं कानून के जानकार लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में तत्काल सदस्यता समाप्त करना उचित नहीं है, संविधान और कानून की मंशा के अनुरूप संबंधित को अपील तक मौका दिया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म खत्म किये जाने को लेकर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता गौरव तिवारी वीरू का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही की ओर बढ़ रही है और वह अपने विरुद्ध उठने वाली विपक्ष की आवाज को कुचलना चाहती है।
सत्ताधारी भाजपा और इसकी सरकार ब्रिटिश सरकार की तर्ज पर काम कर रही है। विपक्ष का कोई नेता उनसे सवाल पूछता है तो उसको झूठे मुकदमों में फंसाने का कुचक्र रचा जाता है। प्रदेश प्रवक्ता ने कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस निर्णय को लोकतंत्र के इतिहास में काला धब्बा बताया। पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि देश और प्रदेश की जनता विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश को सफल नहीं होने देगी। सरकारी तानाशाही बंद न हुई तो पार्टी कार्यकर्ता और जनता इस सरकार को उखाड़ फेकेंगे।
जिला प्रवक्ता सुनील कृष्ण गौतम ने कहा कि गांधी परिवार के प्रति भाजपा विद्वेष की राजनीति कर रही है। ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं के दुरुपयोग के बाद भी जब सत्ताधारी दल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को डराने-धमकाने में नाकाम रहा तो राहुल गांधी को बिना सिर-पैर के मामले में फंसा कर विपक्ष को कमजोर करने के प्रयास में जुट गई। राहुल जी, पीएम के कारोबारी मित्र गौतम अडानी, नीरव मोदी, ललित मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों के खिलाफ बोलते रहेंगे।
पार्टी का हर कार्यकर्ता अपने नेता के साथ मजबूती के साथ खड़ा है। वहीं भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के नेता सूर्य कांत पाण्डेय ने राहुल गांधी के प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मौजूदा सरकार विपक्ष की रणनीति से डर गई है और विपक्ष तथा इसके नेताओं को मिटाने पर तुली है। लोकतंत्र में विरोधियों को सम्मानजनक तरीके से सुनने की परंपरा का गला घोंटा जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अपने कारोबारी मित्रों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को दबाने की नीयत से मोदी सरकार की ओर से गैर लोकतान्त्रिक और गैरकानूनी कृत्य किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि अब संपूर्ण विपक्ष को बिना शर्त एकजुट होकर देश और लोकतंत्र की हिफाजत करनी पड़ेगी।
उधर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अरुण मिश्रा का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि कई लोग इस तरह से सदस्यता खो चुके हैं। इसे गैरकानूनी तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसका क़ानूनी प्राविधान है तथा सुप्रीम कोर्ट से मोहर लग चुकी है, लेकिन व्यवहारिक न्याय के सिद्धांत को देखते हुए प्रक्रिया में बदलाव किया जाना चाहिए। सजा होने के बाद संबंधित को ऊपरी अदालत में अपील का मौका दिया जाना चाहिए।
जिला अदालत में वकालत करने वाले अधिवक्ता राम शंकर तिवारी का कहना है कि आम मामलों में क़ानूनी प्रक्रिया संबंधित को अपील और उपचार का मौका देती है लेकिन सियासत से जुड़ा होने के चलते ऐसे मामलों में निर्णय जल्दबाजी में लिए जाते हैं। निचली अदालत के फैसले के ख़िलाफ अपील और उपचार हासिल होने तक सदस्यता बरकरार रखनी चाहिए।
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