Kanpur से लेकर Unnao तक Karauli Baba करौली बाबा का साम्राज्य, पैतृक गाँव में भी खर्च की काली कमाई

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर से लेकर उन्नाव तक करौली बाबा का साम्राज्य है।

कानपुर से लेकर उन्नाव तक करौली बाबा का साम्राज्य है। बाबा ने पैतृक गांव बड़ी पनई में भी काली कमाई खर्च की। बाबा बनने के बाद भी संतोष भदौरिया उर्फ करौली बाबा का पैतृक गांव से मोह नहीं छूटा।

उन्नाव, [प्रकाश तिवारी/धर्मशील शुक्ला]। संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा का सफर नौकरी करने के साथ शुरू हुआ और नेता बनने के बाबा बनने तक जारी रहा। इस दौरान करीब चार दशक बीतने के बाद भी उसका अपने पैतृक गांव बड़ी पनई से कभी भी मोहभंग नहीं हुआ। इन दिनों उसने अपने अवैध कारनामों के जरिये पहले जमकर काली कमाई की फिर इसे अन्य स्थानों के साथ ही अपने पैतृक गांव बड़ी पनई में भी खुलकर खर्च किया। साथ ही उसने परिवारीजन व ग्रामीणों सहित क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों से भी संबंध बनाए रखे। बाबा ने डेढ़ बीघा पुस्तैनी भूमि में खासा इजाफा करते हुए उसे करीब 20 गुना कर दिया।  
 
बीघापुर तहसील क्षेत्र के गांव बड़ी पनई में जन्मे संतोष सिंह भदौरिया ने करीब 15 वर्ष की उम्र में ही पूर्वजों की देहरी को छोड़ दिया था। शुरू में तो नौकरी कर किसी तरह पेट पाला। दूसरों के आदेशों का पालन करना जब रास नहीं आया तो उसने पहले किसान यूनियन फिर कांग्रेस से नाता जोड़ा और खूब रसूख कायम किया। यही वह दौर था जब उसने खुद को करौली बाबा का रूप दिया और उसे जड़ी-बूटियों से लोगों को स्वस्थ्य बनाने में सफलता मिली।
 
हालांकि उसके पास कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं था लेकिन, उसने जड़ी-बूटियों वाले इलाज के साथ अलौकिक शक्ति का तड़का लगाते हुए अपनी चमत्कारिक शक्तियों का लोहा मनवा लोगों को अपना खूब मुरीद बनाया। सामर्थ्य और धन आने पर उसके परिजन भी उसके पास चले गए और गांव व क्षेत्र के लोग भी उसके आश्रम पहुंचने लगे। खुद करौली बाबा तो काफी समय से गांव नहीं पहुंचे, लेकिन क्षेत्र के छोटे-बड़े जन प्रतिनिधि उनके आश्रम पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बीघापुर के कई पूर्व ब्लाक प्रमुखों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से उनके निकट संबंध बने रहे। 
 

जमीन खरीदने के बाद दर्जनों गाड़ियों से पहुंचता था कब्जा लेने 

लोगों के अनुसार, बीते दिसंबर माह में करौली बाबा ने अपने पैतृक गांव के पास महेश खेड़ा में सड़क किनारे की 14 बीघा जमीन तीन खातेदारों से खरीदी थी। रजिस्ट्री के बाद 27 दिसंबर-22 को बाबा दर्जनों वाहनों के लाव-लश्कर के साथ आश्रम व गोशाला निर्माण के लिए खरीदी भूमि पर कब्जा लेने पहुंचा था। इसी दौरान उस जमीन पर खड़े पेड़ों को कटवाकर झाड़ियां आदि नष्ट कराई थीं। बाबा को जमीन बेचने वाले अनिल वर्मा ने बताया कि इसके अलावा बाबा ने गौरी गांव में भी 20 बीघा से अधिक जमीन गोशाला निर्माण के नाम पर खरीदी है। 
 

गांव से पहुंचने वालों की करता था अपेक्षित मदद 

बड़ी पनई के प्रधान पिंटू सिंह चौहान ने बताया कि करौली बाबा से मिलने बड़ी संख्या में गांव व क्षेत्र के लोग उनके कानपुर स्थित आश्रम जाते रहते हैं। बाबा जब भी गांव आते थे तो वहां स्थित भौंरेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने व आशीर्वाद लेने पहुंचते थे। बताया कि बाबा गांव से उनके पास जाने वालों की वे अपेक्षित मदद भी करते थे। 
 

आश्रम तो बनेक है लेकिन, केहिका आय पता नहीं 

परिचय: महेश बाबा। 
आश्रम के लिए खरीदी गई जमीन के पास कपड़े प्रेस कर रोजी-रोटी कमाने वाले गोसांईखेड़ा गांव निवासी महेश बाबा ने बताया कि गांव में आश्रम का निर्माण तो होना है। लेकिन वह केहिका आय यह जानकारी नहीं है।
 

अक्सर गांव आता हैं गाड़ियों का काफिला 

परिचय: बब्लू।  
गोसांई खेड़ा गांव निवासी मजदूर बब्लू ने बताया कि आश्रम निर्माण की चर्चा तो पूरे क्षेत्र में है। लेकिन करौली बाबा को उन्होंने कभी नहीं देखा।  बताया कि यहां बिकी जमीन के पास अक्सर गाड़ियों का काफिला आता है। लोग उनसे उतरने वाले लोग बिना किसी से बात किए लौट जाते हैं।

 

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