सीए हत्याकांड : हत्यारोपियों के सामने पुलिस का समर्पण, कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
नासूर बनती जा रही आरोपियों को ढूंढने में पुलिस की विफलता
मुरादाबाद, अमृत विचार। पीतलनगरी अब ऐसे अपराधियों का अड्डा बन गई है, जो हत्याकांड के बाद भी कानून के हाथ से बच निकलते हैं। अपनी ऊंची पकड़ व बड़े रसूख के बल पर हत्यारोपी कानून की आंख में धूल झोंकने में सफल हैं। पुलिस टीम को वे अपने तेज दिमाग से छकाने में नहीं चूकते। हालात ऐसे बन चुके हैं कि पुलिस व उसके मुखबिरों की सक्रियता के साथ ही दायित्व के प्रति खाकी का समर्पण भी सवालों के कटघरे में है। सीए हत्याकांड के खुलासे में सवा माह बाद भी पुलिस की विफलता ऐसे संदेह को बल दे रही है।
महानगर में रामगंगा विहार स्थित साईं गार्डेन निवासी सीए श्वेताभ तिवारी की हत्या 15 फरवरी को हुई। सीए को मौत के घाट उतारने के बाद दोनों शूटर सुरक्षित भाग निकले। वारदात के बाद सवाल उठा कि सीए की हत्या क्यों और किसने की, जवाब तक पहुंचने की कोशिश में एसएसपी ने पुलिस की 10 टीमों का गठन किया।
एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया व सीओ सिविल लाइंस के नेतृत्व में पुलिस टीमें कातिलों तक पहुंचने की कोशिश में जुटीं। कामकाज का लेखाजोखा श्वेताभ तिवारी के पास था। शूटरों तक पहुंचने की कवायद में सीसीटीवी के करीब पांच सौ फुटेज पुलिस ने खंगाले। लंबी जांच के बाद भी पुलिस के हाथ ऐसा कोई ठोस सुराग नहीं लगा, जिसके आधार पर हत्यारोपियों तक पहुंचा जा सके। मझोला थाने के तत्कालीन निरीक्षक धनंजय सिंह के सिर विफलता का ठीकरा फोड़ पुलिस हाई प्रोफाइल हत्याकांड से किनारा कसने की फिराक में है।
चार हत्याएं नहीं लगा आरोपियों का पता
13 मई 2015 की रात सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में सेवानिवृत सीएमएस डॉ. शैली मेहरोत्रा, उनके पति डॉ. ओम मेहरोत्रा, ननद रश्मि मेहरोत्रा की गला रेत कर हत्या की गई। महिला चिकित्सक की तीन वर्षीय पोती दिव्यांशी उर्फ गिन्नी को गला दबाकर मौत के घाट उतारा गया। हत्यारोपियों तक पहुंचने की कोशिश में पुलिस की 12 टीमों का गठन किया गया। यहां तक कि एसआईटी ने भी उनकी तलाश की। हाईकोर्ट के आदेश पर हत्याकांड की जांच सीओ सिविल लाइंस को सौंपी गई। फिर भी आरोपी बेनकाब नहीं हो सके।
इंसाफ मांग रहा कुंशाक का खून
12 जनवरी 2022 को सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रामगंगा विहार में स्पोर्ट्स कारोबारी कुशांक गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतक के पिता अशोक कुमार गुप्ता की तहरीर पर पुलिस ने बिजनौर के रहने वाले सगे भाइयों प्रियांशु गोयल व हिमांशु गोयल को हत्या का नामजद किया। वारदात के दो दिन बाद ही दोनों की गिरफ्तारी भी हो गई। पुलिस जांच में पता चला कि कुशांक की हत्या के आरोप में पुलिस ने जिन दो आरोपियों को जेल भेजा है, वह पूरी तरह निर्दोष हैं। मजबूत साक्ष्य व ठोस दलीलों के आधार पर पुलिस ने भी माना कि उससे चूक हुई है। तीन माह कारागार में रहे दोनों आरोपी 168 की रिपोर्ट के तहत बेकसूर करार दिए गए। पुलिस ने सगे भाइयों को रिहा कर दिया।
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