हल्द्वानी: जेल में गुनाहों से तौबा : मुस्लिम कर रहा पूजा, हिंदू रख रहा रोजा

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Published By Bhupesh Kanaujia
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भूपेश कन्नौजिया, अमृत विचार, हल्द्वानी। 'इंसाफ़ करो, तफ़सीर यही क्या वेदों के फ़रमन की है। क्या सचमुच यह ख़ूंख़ारी है, आला ख़सलत इंसान की है?' यह शायरी नहीं सवाल है जिसे हल्द्वानी उपकारागार में बंद अपराधियों ने चरितार्थ कर दिया। 
 

इन दिनों नवरात्र और रमजान का पाक महीना दोनों साथ-साथ चल रहे हैं। जेल में भी माहौल भक्ति रंग से सराबोर है। एक तरफ अल्लाह की इबादत करने वाले रोजेदार हैं तो दूसरी तरफ माता का व्रत रखने वाले व्रती। जेल प्रशासन ने इनके लिए खास इंतजाम भी किए हैं। यहां कैदी अपने गुनाह की माफी ईश्वर की इबादत कर मांग रहे हैं, जेल में न कोई हिंदू है न कोई मुसलमान। यहां सब इंसान नजर आ रहे हैं।

ये वे इंसान हैं जो गुनाह तो जाने-अनजाने कर चुके हैं, लेकिन अब पछतावा है। ये अब अपने किए की माफी और परिवार तथा अपनों के लिए खुशियां मांग रहे हैं। जेल में व्रतियों और रोजेदारों के लिए अलग-अलग भोजन की व्यवस्था की गई है। बिना लहसुन, प्याज का खाना एक तरफ तो दूसरी ओर इफ्तार के लिए जूस, फल, बन, दूध आदि की व्यवस्था की गई है। 


हिंदू ने रखा रोजा तो मुस्लिम रख रहा नवरात्र
हल्द्वानी। यहां जेल में बंद कैदियों में 230 रोजेदार तो वहीं 210 व्रती हैं, इनमें भी खास बात यह है कि दो हिंदुओं ने रोजा रखा है और एक मुस्लिम माता की उपासना में व्रत ले रहा है। हत्या के एक मामले में जेल में बंद अल्ली खान मोहल्ला काशीपुर निवासी सलमान पुत्र हसीन ने इस बार नवरात्र के व्रत रखे हैं, जबकि कवि नगर काशीपुर निवासी शुभम उपाध्याय पुत्र अरविंद उपाध्याय ने रोजा रखा है। वह पॉक्सो एक्ट में सजा काट रहा है।

इसके अलावा जेल में 354 पॉक्सो एक्ट में बंद मदन परिहार पुत्र बिशन सिंह परिहार निवासी नैनीताल ने भी अल्लाह की इबादत में रोजे रखे हैं। जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार पांडे ने बताया कि इन सभी लोगों ने अपनी मर्जी से व्रत और रोजे रखे हैं और इनकी कौमी एकता या यूं कहें कि गंगा-जमुनी तहजीब को बरकरार रखने की इस मुहिम की हर कोई दाद दे रहा है।

 

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