जांच: ठेलिया से शव ले जाने में डॉक्टरों की लापरवाही आई सामने
अमृत विचार, लखनऊ। मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मौत के बाद पांच किलोमीटर तक ठेलिया पर शव ले जाने के मामले की जांच मंगलवार को पूरी हो गई। दो सदस्यीय जांच कमेटी ने रिपोर्ट सीएमओ को सौप दी है। जांच कमेटी ने इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि इमरजेंसी के डॉक्टर मौत की वजह जानने की कोशिश के लिए शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए पुलिस को सूचना देते तो बिना वाहन के शव नहीं जाता।
महमूदाबाद के मोहम्मदीपुर निवासी पिन्टू (55) पत्नी अनीसा, बेटे बलबीर व बेटी शिवानी के साथ मोहनलालगंज के शंकर बक्श खेड़ा में झोपड़ी डालकर कबाड़ का काम करता था। बीते गुरुवार को वह गनेशखेड़ा में नहर पुलिया से गिरकर चोटिल हो गया था। आर्थिक तंगी के चलते पत्नी व बेटी इलाज के लिए नहीं ले जा सके। शनिवार को हालत बिगड़ी तो पत्नी ने धर्मावत खेड़ा निवासी रिश्तेदार नौमीलाल व सुनील से मदद मांगी। मरीज को रिक्शा ट्राली पर लाद कर सीएचसी मोहनलालगंज ले गए थे। इमरजेंसी में डॉक्टर ने मरीज को देखकर मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसके शव को ठेलिया से ले जाया गया था।
इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने नाराजगी जताते हुए जांच के आदेश दिए थे। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरवी सिंह व डिप्टी सीएमओ डॉ. केडी मिश्रा शामिल हुए। कमेटी ने मामले की जांच की। इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर से पूछताछ की। सीएचसी अधीक्षक से भी जानकारी हासिल की। तथ्यों के आधार पर कमेटी ने रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरजेंसी में डॉक्टर को मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शव का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए पुलिस को सूचना देना चाहिए था। इससे पुलिस उसकी मौत का सही कारण पता चलता। पुलिस सरकारी शव वाहन का इस्तेमाल करती। ऐसे में शव को ठेलिया पर ले जाने जैसी संवेदनशील घटना न घटती। वहीं डॉक्टर ने सीएचसी अधीक्षक को भी मामले की जानकारी नहीं दी। जिससे मामला गंभीर हुआ। सीएमओ का कहना है जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
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