हरदोई: साहित्यकार डा. मिथिलेश कुमारी मिश्र का कल मनेगा स्मृति पर्व
हरदोई, अमृत विचार। जनपद की प्रख्यात बहुभाषाविद साहित्यकार डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र, पूर्व निदेशक, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना की पुण्य स्मृति पर रविवार को संस्कृत-संस्कार और संस्कृत विषयक सम्मेलन आवास विकास, स्थित जेके पब्लिक स्कूल सभागार में आयोजित होगा। "सर्वत्र संस्कृतम्" एवं "आधुनिक भव संस्कृतम् वद अभियान" के तत्वावधान में होने वाले इस सम्मेलन में अभियान के प्रधान संरक्षक डॉ. अनिल कुमार सिंह, विशेष सचिव, गृह विभाग, उत्तर प्रदेश शासन तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार ओझा, महासचिव, संस्कृत संजीवन समाज, पटना सहित देश भर के संस्कृतज्ञ अतिथि-वक्ता शामिल होंगे।
सम्मेलन की संयोजक एवं सरस्वती सदन हरदोई की लाइब्रेरियन सीमा वाजपेयी के अनुसार आयोजन में "आधुनिको भव संस्कृत वद अभियान" के राष्ट्रीय संयोजक पिंटू कुमार, सहायक आचार्य, अरविंद महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं दिल्ली के संस्कृत प्रवक्ता व वरिष्ठ प्रचारक डॉ. शैलेंद्र कुमार सिन्हा के साथ पटना के संस्कृत प्रचारक डॉ. अनिल चौबे की उपस्थित रहेगी। कहा कि भारत-तिब्बत सहयोग मंच दक्षिण बिहार प्रांत के बुद्धिजीवी विभाग के उपाध्यक्ष अमरेंद्र नाथ ओझा विशेष रूप में उपस्थित रहेंगे। साहित्यकार डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को समर्पित भाषा-साहित्य सम्मेलन में भारतीय संस्कृति के संवर्धन से जुड़ी विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही सीएसएन महाविद्यालय के हिन्दी-संस्कृत में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले मेधावियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा।
सरस्वती सदन की लाइब्रेरियन सीमा बाजपेई ने कहा कि विदुषी डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र का संपूर्ण जीवन हिंदी और संस्कृत भाषा को समर्पित रहा। उन्होंने हिंदी-संस्कृत सहित विभिन्न भाषाओं में लगभग 4 दर्जन ग्रंथ रचे जिसमें थाई रामायण श्रीरामकीर्तिम का हिंदी पद्यानुवाद एवं प्राकृतिक ग्रंथों का हिंदी अनुवाद उनकी विशेष उपलब्धि रही। कहा 'देवयानी' महाकाव्य रचकर डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र ने हिंदी साहित्य जगत में प्रथम महिला महाकाव्य रचनाकार के रूप में स्थान बनाया। इसके अतिरिक्त सलाहकार संपादक के रूप में कानपुर से संस्कृत दैनिक समाचार पत्र नवप्रभातम का शुभारंभ कराने में सहायक बनी डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र ने श्रीमचरितमानस के सुंदरकांड का कन्नौजी में पद्यानुवाद और आरा बिहार की प्राकृत भारती पत्रिका का संपादन कर भारत की लोकभाषाओं को पोषित करने का संदेश दिया।
जनपद की कटरी खद्दीपुर गढ़िया में पल बढ़कर पटना की उच्चशिक्षा-शोध से जुड़ी संस्था बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक तक का सफर उनकी शैक्षणिक साधना का प्रतीक है। भाषा संगम की समन्वय के रूप में विभिन्न भाषाभाषियों को परस्पर जोड़ना डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र के भारतीय भाषाओं के प्रति लगाव और राष्ट्रीय एकता के प्रयासों को दर्शाता है। उन्होंने तमिल साहित्य को हिंदी में अनुवाद को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को संबल प्रदान किया जिसके फलस्वरूप तमिलनाडु चेन्नई सहित दक्षिण भारत में उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर शोध ग्रंथ रचे गए तथा दक्षिण भारत की कई महिला रचनाकारों को शोधार्थी के रूप में उन्होंने उत्तर भारत के विश्वविद्यालयों एवं शिक्षा साहित्य संस्थानों से जोड़कर भाषा को एकता के पुल के रूप में महत्व दिया। सम्मेलन में साहित्यकार डा. मिथिलेश कुमारी मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ भारतीय संस्कृति और संस्कृत के संवर्धन से जुड़े ऐसे ही बिंदुओं पर विमर्श होगा।
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