कानपुर निकाय चुनाव: कांग्रेस को नम्बर पर लाने को सपा का खेला शुरू
महेश शर्मा/ कानपुर, अमृत विचार। कानपुर नगर निगम का चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका दे सकता है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए संयुक्त विपक्ष के गठन की तैयारी में जुटी कांग्रेस का कानपुर गढ़ पूरी तरह से ध्वस्त हो सकता है। समाजवादी पार्टी ने उसे धकेल कर नंबर तीन पर लाने की तैयारी कर रही है। जिताऊ मेयर प्रत्याशी की तलाश को लेकर पार्टी में छटपटाहट है। दूसरी तरफ सपा ने चुनावी तैयारी के लिए कील-कांटे लगभग कस लिए हैं। खुद कांग्रेसी स्वीकारने लगे हैं कि तथाकथित बड़े नेताओं की गुटबाजी ने पार्टी की लुटिया डुबो दी है।
शहर में कांग्रेस के दुर्दिन तो तभी से दिखने थे जब 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ था। किदवईनगर छोड़कर सभी सीटों पर जमानत तक नहीं बचा सकी थी। छावनी विधानसभा सीट 2017 में जीती थी पर 2022 में वह भी गवां दी। दूसरी तरफ सपा बढ़त लेती नहीं। छावनी, सीसामऊ और आर्यनगर सीट समाजवादी पार्टी ने बड़े आराम से झटक ली। इसके अलावा कल्याणपुर, महराजपुर, गोविंदनगर में समाजवादी पार्टी नंबर दो पर रही। हां किदवईनगर में सपा का बुरा प्रदर्शन रहा।
अब निकाय चुनाव सिर पर है। उसके बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव है। लेकिन तैयारी के नाम पर शहर कांग्रेस के बड़े नेताओं पर निर्भर है। दिग्गज कहे जाने वाले नेता अजय कपूर शांत बैठ गए हैं तो श्रीप्रकाश जायसवाल स्वास्थ कारणों से निष्क्रिय हैं। एक बुजुर्ग नेता कहते हैं कि निकाय चुनाव में ले-देकर कांग्रेस के पास एक भी प्रभावी नेता नहीं दिखता है जो कार्यकर्ताओं को सक्रिय करते हुए चुनाव में कुछ बेहतर कर सके। चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।
हालांकि शहर अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी इस बात से मुतमईन हैं कि पार्टी नगर निगम चुनाव में अच्छा करेगी। पर उनके प्रतिस्पर्धी पूर्व अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री और उनके समर्थकों ने नौशाद हटाओ कांग्रेस बचाओ की मुहिम चला रखी है। मेयर के लिए कांग्रेस एक बार वरिष्ठ नेता आलोक मिश्रा की पत्नी बंदना मिश्रा को प्रत्याशी के रूप में उतारने का मन बना रही है। प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी सचिव, प्रांतीय अध्यक्ष आलोक के संपर्क में हैं। दूसरी तरफ उषा रत्नाकर शुक्ला एक बार फिर टिकट जोर लगा रही है। नौशाद के कामकाज पर हरप्रकाश गुट और तो और वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान भी सवाल उठा रहे हैं।
सपा ने भी कांग्रेस की तर्ज पर परंपरागत वोटों के साथ ही ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी कर ली है। सपा विधायक अमिताभ वाजपेयी की पत्नी वंदना वाजपेयी के नाम की चर्चा है। आर्यनगर सीट से दो बार विधायक अमिताभ की ब्राह्मणों व मुसलमानों पर तगड़ी पकड़ है। सपा का पिछड़ा वोट भी वो अपनी तरफ खींच रहे हैं। उनको लगता है कि यह समीकरण सपा का मेयर बनवा सकता है।
हालांकि सपा से नीलम रोमिला सिंह, अपर्णा जैन, रीता जितेंद्र बहादुर और अंजिला वर्मा भी प्रबल दावेदार हैं, लेकिन यदि नीलम रोमिला सिंह की मानें तो वंदना वाजपेयी जिताऊ प्रत्याशी हो सकती है। उन्हें उनके पति विधायक अमिताभ वाजपेयी की लोकप्रियता जुझारूपन जीत दिलवा सकता है। सपा यह चुनाव कानपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में प्रदर्शन की गणित के नजरिये से देख रही है।
दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी हालांकि खामोश है पर भीतर ही भीतर तैयारी कर रही है। बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी आने की संभावनाएं जतायी जा रही है। आम आदमी पार्टी भी मुस्लिम पर दांव लगा सकती है। कानपुर मेयर निर्वाचन क्षेत्र में साढेझ 22 लाख से ज्यादा वोट हैं जिनमें 22 प्रतिशत ब्राह्मण और 18 प्रतिशत मुस्लिम है। इन्हीं वोटों पर पार्टियों की नजर है।
